Friday, March 16, 2018

आधी रात
मुट्ठी भर नींद
ढेर सारे सपने

उनींदी आंखे
फूलों वाली चादर
सीने पे तकिया
सिमटे से हम

कुछ ताज़ा नज्में
बिखरे उड़ते पन्ने
एक कप गर्म कॉफी

चांद का टुकड़ा
आंखों में अटका
इंतेज़ार करती आंखे

गीली आंखे
भीगा तकिया
तुम्हारी याद
उसपे इतनी
लंबी रात

Tuesday, March 13, 2018

रिमझिम यादें

अब हम नही
हमारी बातें है
गीत है, बोल है
चंद प्यारी सांसे है
चाह कर भी न मिल पाना
एक मजबूरी होती है
ऐसे में ये यादें
रिमझिम सी बरसती है
देती है रूह को  राहत
सब बातें एक सी तो नही होती हैरी

राधा अष्टमी

Radha ashtami pe meri lekhni
सुना है
आज तेरा
जनम दिन है
लेकिन
तू जन्मी कहाँ?
तेरा तो
दिव्य जनम है
आई है
कृष्ण के लिए
प्यार का सबक  देने
संसार को
न लेना न देना
प्यार तो
अन्तरात्मा की आवाज़ है
करता है
मन में निवास
नहीं रखता कोई
अलग सी चाह
है प्रियतम  मेरा
इतना ही बहुत है
क्यों रखे चाह
किसी स्वार्थ की
प्यार मेरा तो
अनमोल है
न दिखाती है
न जताती है
राधा तू तो
सबसे अलग है
तभी तेरा
जनम जनम से
कान्हा संग
प्रेम योग है aparna

खुशबू सी तुम

तेरे जहन में
घूमती हर
वो तस्वीर
जो मोहब्बत से
लबरेज हैं
महकती है
रजनीगंधा बन
देती है राहत
तेरी रूह को,

चमकती है
तेरी आँखों मे
नूर बनकर,

फिर छोड़ कर
खुशबू अपनी
गुम हो जाती है
तुझे दिन भर
महकने के लिए
खुशबू जो ठहरी
रुक नही सकती

एक जगह

खता इतनी जो तुमको चाहा

मैं करू खता
तू मुझे माफ कर
एक बार तो मेरे यार
जी भर के मुझे प्यार कर
करना चाहता हूँ गुस्ताखी
हर वक़्त न मेरी तू
संवार कर
क्या करूँगा बन कर अच्छा
कोई न करे जो मुझे प्यार सच्चा
एक बार तो मुझे जी लेने दे
गुनहगार बनकर
एक बार तू फिर से ही सही
मेरा इंतज़ार तो कर (अरु)

बिछड़े तो मर जायेंगे

बिछड़े तो
जी न पायेंगे
कहती थी न
मैं तुमसे
देखो न मुझे
नही जी पा रही
तुम्हारे बिना
समय जैसे
थम सा गया हो
आदत नही है न
तुम्हारे बिना
चलने की,
हर वक़्त, हर लम्हे
तुम्ही तो सवार रहते थे
मेरे जेहन में,
अब भी मेरा वही हाल है
तुम्हारे बिन
एक कदम भी
नही रखा जाता मुझसे,
तुम भी तो देख रहे हो
मेरी हालत,
क्या तुम्हें तरस नही आता,
पहले तो मेरी
हर छोटी सी ख्वाहिश भी
 झट मान लिया करते थे,
अब क्या हुआ
मेरा कोई नही है
तुम्हारे सिवा
ये तुम अच्छे से जानते हो, कस
तो भी ऐसी मनुहार, व
क्यों करवाते हो,
अब तो आ जाओ न

ठंडी होली

कुछ जोश नही
कुछ होश नही
कहने को बस
होली है
अंतर में
कितनी पीड़ा है
रोते रोते दिल
हारा है
किसी से कोई
रोश नही
कहने को बस
होली है
दिन बचपन के
कितने सुंदर थे
सब अपने थे
कोई दर्द न था
खेल खिलौने
दुनिया भर के
होली ही होली थी
आज कुछ हाथ नही
कहने को हैप्पी होली है

लड़की होना माने बचना समाज से

हर पल अपनी परछाई से ही डरती
बाहर से खुद को बेखौफ
दिखाने की कोशिश में
अपने आप से ही लड़ती लड़की
न जाने का बच्ची से बड़ी हो जाती
कहने को तो वो उम्र में 25, 45, 50 की हो गई
लेकिन अंतर्मन आज भी उसका हर पल आने वाली मुसीबतों से सशंकित रहता है
बच्ची थी तो स्कूल जाने से डरती रही
जवान  हुई तो लोगो ने जवानी का डर दिखा दिया
नौकरी में तो सारा दिन लोगों की आंखों से x ray
खुद को बचाती हुई न जाने कैसे करती रही नौकरी
खुद से ही खुद को हलकान करती हुई स्त्री
न जाने कब आज़ाद होगी
कब फ़ूडकेगी आप के आंगन में
बेखौफ
शायद वो दिन उसकी जिंदगी में कभी न आये

साथ

पुरुष स्त्री साथ साथ है
तभी बढ़ सकी जीवन की गाड़ी
जैसे
कठोर धरती के भीतर पनपते है कोमल बीज
जैसे
हार्ड बोर्ड पर टिका होता है
कंप्यूटर का mother बोर्ड
जैसे
बिना कठोर प्लाई के नही टिक सकता पलंग
वैसे ही कठिन संघर्षो के साथ बिताए हुए कोमल पल
जिंदगी को
बार बार एक साथ मिलकर
सोचने के लिए
मजबूर कर देते है
आपकी सुंदर कविता की तरहपुरुष स्त्री साथ साथ है
तभी बढ़ सकी जीवन की गाड़ी
जैसे
कठोर धरती के भीतर पनपते है कोमल बीज
जैसे
हार्ड बोर्ड पर टिका होता है
कंप्यूटर का mother बोर्ड
जैसे
बिना कठोर प्लाई के नही टिक सकता पलंग
वैसे ही कठिन संघर्षो के साथ बिताए हुए कोमल पल
जिंदगी को
बार बार एक साथ मिलकर
सोचने के लिए
मजबूर कर देते है

मजबूर

भीग रहा है वो
टपकती बूंदों के साथ
सोच रहा है......
कब तक ढोना पड़ेगा
जिंदगी का बोझ
परिवार की जिम्मेदारी
माँ, बाबा की बीमारी
बच्चो की महँगी पढ़ाई
समाज से सर मिला कर
चलने की ऊंचाई
मन के साथ साथ
तन भी घटता जा रहा है
शरीर अब साथ देने को
तैयार नही
रो लेने से शायद दिल कुछ हल्का हो जाये
यही सोच कर बरसते पानी मे घर से निकल आया

खोई हुई लड़की


न जाने कब से
अपने साथ मुलाकात ही न हुई
तुम में डूब गई अपने से
कोई बात ही न हुई
अब देखती हूँ आईना
अपना चेहरा ही
अनजान सा लगता है
नही पहचान पाती
कभी कभी खुद को
जैसे कोई वीरान सा
जंगल दिखता है
दिखती है मुझमे एक
उदास नदी
सूने पहाड़
सिसकते पेड़
और न जाने तमाम रातों से न सो पाई हो
ऐसी झील
जो गुम हो गई है
मेरे सर्द वजूद में
शायद
अब मुझे मेरे जानने वाले भी नही पहचानते
क्योंकि वो मुझमे तलाशते है वो पुरानी
हसीं मजाक करती
खुशनुमा लड़की
जो दफन हो  गई है
तुम्हारी यादों के साथ
तुम्हारी ही कब्र में
जो कभी कब्र से बाहर नही निकलती
भले ही
दम घुटता रहे उसका
ठंडी मिट्टी में
उस अनजान लड़की को
सब आज भी तलाश रहे है
लेकिन वो तो ग़ुम है
कहीं तुम्हारे साथ
तुम्हारी ही बेदर्द यादों में
वो कहती है
उसे याद ही नही
वो सब
जो आज तुम शिनाख्त कर सको
कहीं वो खोई खिलखिलाती, मासूम लड़की तो नही

मेरे जाने के बाद भी
मेरी खुशबू
फिज़ाओ में रहेगी
महसूस करना मुझे
फूलों में
हर किताब
कुछ न कुछ कहेगी

दिल अपना
खोलकर दिखाए भी तो कैसे?
जो नही अपना
उसे पास लाये भी तो कैसे?

नए चेहरे है
नए लोग है साथ जिंदगी संभल के तू चलना
न बताना इन्हें अपने एहसास

हैरानी होती है
वक़्त के साथ हम चल क्यों नही पाते
वक़्त की नदियां में
क्यों है डूब जाते

दिल की बातें यू नही कहते
पता है उसे, जिसे दिल है कहते

चले तो अकेले है जिंदगी में रास्ते मे तुम मिल जाना सफर हो जाएगा सुहाना
किसी को न बताना

खुशी घर से जरा गुस्से में निकली है
बच के रहना
तुमको न मिल जाये कहीं,हो सके तो एक बार उसे हँसा देना

दिल की सफाई की तो ये महसूस हुआ
दिल के हर कोने में छाप तुम्हारी ही तो है

नही हो तुम किस्मत की लकीरों में तो क्या
हम नई किस्मत बना लेंगे
कैद कर लेंगे तुम्हे दिल मे
किस्मत को रुला देंगे

मैं सच भी कहूंगी तो तुम नही मानोगे
तुम्हारे झूठ से भी बहुत प्यार है मुझे

अब तो हर बात में
तुम्हारा ही जिक्र
तुम्हारा ही
एहसास है

मत दो
मुझे कुछ
बस साथ तो चलो
अपने होने का
एहसास तो दो

मैं जीती हूँ
तुम में
तुम हो कि
मुझपे
मरे जाते हो

एक दिया इंतेज़ार का

मेरी होली भी तुझसे
दीवाली भी तुझसे
जलना भी तुझसे
बुझना भी तुझसे
तू नही तो
किसी कोने में
बुझे दिए सी मैं
तेरे इंतेज़ार में

मनमीत

यादों से
जो न जाये
वही हमदर्द
होते है
बिछड़ के भी जिनसे
बिछड़ न पाए
ये दिल ........

वही मनमीत होते है

तज़ुर्बा

मेरी खामोशी
बात करती है
मुझसे
याद दिलाती है
तज़ुर्बे जिंदगी
धोखे अपनों के
सीख वक़्त से

तू है पास

ये रातें
ये बातें
मुलाकातें
सब तेरी
याद से
मुंतजिर है
तू नही है
तो क्या
तेरे एहसास
हर सू बिखरे है
क्या करूँ
कैसे पुकारूँ
तू तो मेरे अंदर है।


तेरा मेरा प्यार

मेरा दुपटटा उलझा रहे
तेरे कांधे के दुशाले से
न सुलझे कभी ये किस्सा
जो कभी सरे आम हुआ

ताउम्र मेरा साथ

Sab kuch
badal gaya
Waqt ke sath
Na raha
WO mera
Waqt waqt ki baat
Chahkar Bhi
na De saka
Ta umra mera sath

यादों का काफिला

उदासी का मंज़र मिला...
जब से तुम हो गये...
कोई ना तुम सा मिला..
जब से तुम हो गये....
रह गई यादें
जहन मे तुम्हारी..
गये जो तुम
यादों का काफिला मिला..

जब भी मै मुस्काती

जब भी मैं मुस्काती,
तुम हंस देते हो..
जब मैं चुप हो आती..
तुम भी क्यूँ सब कुछ
खो सा देते हो...
क्यूँ अटकती हैं
तेरी साँसे..मेरे होने और ना होने से..
मुझसे हैं ये तेरा जीवन
क्यूँ ऐसा कह देते हो..
मुझको लगता हरदम डर सा..
तुमको बस खो देने का..
नही कर पाती इज़हार इसलिए..
तेरे अपना होना का..


सूरज

सूरज को क्या....
उसकी तो आदत हैं
रूठना
रूठ कर
गाल फूला लेना...
आँखे लाल पीली कर लेना..
लेकिन
मुझे भी मनाना आता हैं....
हटा कर उसका लिहाफ़..
उसे सुबह की
उजली धूप दिखाना
मुझे आज भी बहुत भाता हैं..
उठ जा सूरज ....देख ना... तेरे बिना दिन भी
नही खेलने आया अब तक ..

दूरियां



ये दूरी हैं
दोनो के दरमिया...
ये शब्दो को
मिलने नही देती..
अटका देती हैं .
फसा देती हैं .
तालू से ज़ुबान..
पता हैं
दोनो के शब्द
एक सुर मे निकले तो
जमाने मे .
कुछ नया हो जाएगा..
मिल जाएँगे
धरती और आकाश..
संध्या का समय हो जाएगा..
संध्या
किसे अच्छी नही लगती..
तुम ही बताओ..
जब मिलते हैं
सूरज के लाल गोले से..
उतर कर झुर्मुट मे....
अकेले अकेले..
कुछ तो नया होता होगा..
हैं ना

रिश्तो की कब्रगाह

तेरे मकान तक
आने की खातिर
मुझे गुज़रना था
रिश्तो की क़ब्रगाह से..
ये कोई आसान ना था..
आना भी था ज़रूर..
पाना भी था ज़रूर
लेकिन
खुद को खोकर
रिश्तों को खोकर..

मसरूफ


दिल के झरोखों से
झांककर देखा
तुम मसरूफ नजर आए
मगन अपने आप में
कुछ भूले से,
कुछ खोये से
लगा
गर किया तुमको
तुमसे अलग तो
खुद से
बिछड़ जाओगे
खोकर
दुनिया की सोच में
अपने आप से
कहीं दूर हो जाओगे
रहो खुद में
खुश
अपने मे डूबे
यही है दुआ
आमीन

मिट्टी का मिट्टी में मिलना


नही लिखा जाएगा
मुझसे
यू कठोर होकर
तुमसे बिछड़ना
मिट्टी का
मिट्टी में मिलना
ये काम
सिर्फ तुम ही करना
मेरे जाने के बाद
क्यूंकि
बिछड़ने का दर्द
मैंने सहा है
जो असहनीय है
मेरे लिए
तुम्हारे लिए
सबके लिए

तुम्हे देखने का दिल करे तो

तुम्हे देखने का
दिल करेगा तो कहाँ खोजेंगे
तुम्हारा पता
चाँद तारों से पूछ लेंगे
उन्होंने भी
गर किया किनारा
तुम्हे समूचे आस्मा में
खोज लेंगे
छिपो चाहे
कितनी दूर तुम मुझसे
तुम्हे हर हाल में
ढूंढ लेंगे
तुम भी भला कब तक
रह सकोगे मेरे बिना
तुम्हारे दिल से
हर वक़्त ये ही
सवाल करेंगे
मिलना बिछड़ना
वक़्त के साथ मुकर्रर है
फिर भी
हम हमेशा दिल से
तुम्हारे साथ रहेंगे

मशहूर अदाकारा श्रीदेवी का अकस्मात परलोक गमन


नया जनम
नया देश
नया शहर
नया घर
नए माता पिता
नए भाई बहन
नए लोग
फिर से चढ़ना होगा
हौले हौले
उम्र का पायदान
एक, दो, तीन, चार
सीढियो से तय करना होगा
नया सफर
फिर से बनानी होगी
अपनी नई पहचान
फिर से देने होंगे
कई कड़े इम्तेहान
तब लोग
पहचान पाएंगे तुमको
तुम्हारे नए नाम से
सच
मरना भी
इतना आसान नही होता
जीने की तरह
तिल तिल कर
बढ़ना होता है
जीने में तो पता होता है
मेरी राह क्या है
मर कर तो
सब कुछ
नए सिरे से
करना होता है!
क्यों जाते हो ?
छोड़कर
मत जाओ

रुक जाओ
मुड़ कर देख लो
एक बार
सच कहती हूँ
जा नही पाओगे
कहाँ से लाओगे
ऐसा सच्चा प्यार
ढूंढते ढूंढते
थक नही जाओगे

अपर्णा खरे

(श्री देवी जी की मृत्यु से व्यथित)

महिला दिवस

दूसरे त्योहारों की तरह
बीत गया
एक और त्योहार
जिसे महिला दिवस का नाम मिला
रह गई फिर से ख्वाहिशें अधूरी
जिसे अगले बरस के लिए
छोड़ दिया
कल से फिर
नया दिन निकलेगा
मिला हो जिन्हें भी
महिला होने का सम्मान
उन्हें ढेरों बधाई
नही तो जुट जाओ
फिर से स्त्रियों
अगले बरस की तैयारी में
तुमने गृहस्थ को तो
अपने कामों से
जीत लिया
अब दुनिया को जीतने की
कोशिश में जुट जाना है
स्त्री पुरुष के फासले को
कुछ नम्बरों से हराना है

तुम्हारा इंतेज़ार है

तुम्हारा इंतज़ार
करती आंखे.......
अब थकने लगी है

तुम्हारी न आने की
जिद ने
जिंदगी के हौसलों को
पस्त सा कर दिया है.....

पैरों ने भी
दे दिया है जवाब
नही रही दिल मे
वो गर्मगोशी
जैसी तुम्हारे आने की
खबर से होती थी......

खुशनुमा हो उठता था
पूरा माहौल
मस्ती के आलम से
बस क्या कहूँ....…......

इंतेज़ारी आंखे,
थका जिस्म,
यादों से धड़कता दिल
उम्मीद का सावन

शायद
मेरा सोचा भी
कुछ हो जाये...........

हुस्न और इश्क़


हुस्न है
इश्क़ कही
खो गया

हुस्न ने
दिखाए नखरे
इश्क़
किसी और का
हो लिया

अब हुस्न
अकेला है
इश्क़ के पास
मेला ही मेला है

हुस्न का गुमान
बहुत बड़ा है..........

वो इश्क़ के
दरवाजे के बाहर
खड़ा है
इश्क़ बुलाये
हुस्न अंदर आए

लेकिन
इश्क़ कब तक,
क्योंकर बुलाये????

इश्क़ को
ताकत है
हुस्न को
बेजारी है

इश्क़ है
सबको प्यारा
हुस्न के पास
अदा ए कातिल
सारी है
अब कौन
किसे समझाये
वक़्त दे
उन्हें मोहलत

दोनो कुछ कुछ
एक दूजे को
समझ पाए

न जाने कितनी ही
अनकही बातें
साथ ले जाते हैं लोग,

सब गलत कहते हैं
कि
खाली हाथ चले जाते हैं लोग.......

मुहब्बत के
एहसास ने
हम दोनों को
छुआ था....!
फ़र्क़
सिर्फ इतना था
उसने किया था
मुझे हुआ था..!

कुछ दिल से

तुम से बिछड़ने का
गम ऐसा है
मेरे हमदम

सांसे थम चुकी है
लोग कहते है
जिंदा हो तुम


जिंदगी तो
रोज मिलती है
जीने के लिए
मौत ही कमबख्त
एक बार आती है
मरने के लिए.......अप्पू
अपनी यादों की रजाई लपेट कर रख ली है मैंने.....

अगली सर्दी में उसे फिर से ओढूंगी.....

फुरसत है
तुम्हे सोचने की
तमाम उम्र

प्यारे लाल वडाली जी

थम गई है आवाज़
लम्हे भी अब रुके रहेंगे
सुन सकेंगे रोज तुम्हे
लेकिन कभी देख न पाएंगे

वडाली जोड़ी बिछड़ गई
रूह तो उड़ गई
शरीर यही छोड़ गई
अप्पू

तुम जाओ तो पलक लगे

नींदों से खवाबों की दूरी
बस बढ़ती ही जाती है....

जब रहते हो आंखों में तुम
बस एक खुमारी छाती है.....

तुम जाओ तो पलक  लगे
तुम संग मेरी नींद तो जैसे
बैरन हुई जाती है..........

जीना न आया

कुछ खोया है
कुछ पाया है
तुमसे बिछड़ के
जीना
अब तक नही
आया है।

तुम जानते हो
मेरे दिल का
सारा हाल
फिर भी
न जाने क्यों
तुमको मुझ पे
तरस
क्यों नही
आया हैं।

तुम बिन जीना
कैसा जीना?
तुम बिन बरखा
कैसी बरखा?
बस यही सवाल
तुमसे हर वक़्त
पूछना है।

तेरी दूरी से
दर्द मेरे दिल का
दिन ब दिन
गहराया है।

तुम्हारी अप्पू