Tuesday, April 24, 2018

सूनी सांझ



बाट जोहते
थक गई अंखिया
सूखी पूरी देह

दिखी न कोई
आस की किरण
बढ़ा विरह उद्दवेग

कहकर गया कोई
आने को
भूला अपना देश

दिल मे उठी
हुक अजब सी
जीवन हुआ क्लेश

बरखा सावन
एक हुए सब
नैनन झरा स्नेह

सूना पथ है
सूना जीवन
सूनी आंखे

सूनी सांझ के
मेरे साथी.......
आ जाओ अब
खिंची है दिल पे
यादों की लंबी गहरी रेख!!

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