Friday, March 16, 2018

आधी रात
मुट्ठी भर नींद
ढेर सारे सपने

उनींदी आंखे
फूलों वाली चादर
सीने पे तकिया
सिमटे से हम

कुछ ताज़ा नज्में
बिखरे उड़ते पन्ने
एक कप गर्म कॉफी

चांद का टुकड़ा
आंखों में अटका
इंतेज़ार करती आंखे

गीली आंखे
भीगा तकिया
तुम्हारी याद
उसपे इतनी
लंबी रात

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