Thursday, August 17, 2017

मेरी नज्म दरिया से उठा लो

एक नज्म थी 
जो मेरी सोचो से 
निकल कर बह गई 
दरिया में
जी करे तो उठा लेना
पूछ लेना उस से मेरा हाल
कुछ उसको भी सहला देना
भीग कर आई है 
वो कही दूर से
हो गया होगा 
उसको खांसी जुकाम
थोड़ी ताज़ा अदरक की गर्म चाय पिला देना 
एक नज्म 
जो बह गई है 
मेरी सोचो से 
निकल कर
उसको मोहब्बत से 
उठा लेना

1 Comments:

At August 18, 2017 at 12:09 AM , Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-08-2017) को "चीनी सामान का बहिष्कार" (चर्चा अंक 2701) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
स्वतन्त्रता दिवस और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

 

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home