स्याही
सुबह सुबह
दर्द की दवात
लेकर चली थी
अपने साथ
तुम्हारी यादें
जो मुझसे टकराई
सारा दर्द
फैल गया
स्याही के साथ
दर्द की दवात
लेकर चली थी
अपने साथ
तुम्हारी यादें
जो मुझसे टकराई
सारा दर्द
फैल गया
स्याही के साथ
जीवन की सच्चाइयों को उजागर करता हुआ आपका अपना ब्लॉग जो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके और हमारे अनुभव को बताएगा..कैसे जिया जीवन, क्यूँ जिया जीवन और आगे किसके लिए जीवन हम सब आपस मे बाटेंगे...कही यू ही तो नही कट रहा...स्वासो की पूंजी कही यू ही तो नही लुट रही मिल कर गौर करेंगे..
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