Thursday, July 6, 2017

तुम बिन


तुम बिन
क्या आषाढ़
क्या सावन

तुम बिन
रीता मेरा
मन

तुम बिन
भीगी 
मेरी आँखें

तुम बिन
हर पल रोया
मेरा मन

तुम संग
जाने कितनी 
यादें

तुम संग
जैसे हर पल
हो जीवन

जीवन का 
हर घूँट 
अब कडुवा

तुम बिन
जीवन मे
नीरसतापन

तुम बिन
कट रहा है
यू जीवन

जैसे मिली हो 
सज़ा हर दिन
हर पल

सारी खुशियां
आधी अधूरी
तुम संग था
पूर्ण समर्पण

3 Comments:

At July 7, 2017 at 11:34 PM , Blogger कविता रावत said...

अपनों की दूरी पल-पल अखरती है
बहुत सुन्दर

 
At July 8, 2017 at 3:08 AM , Blogger vandana gupta said...

सुन्दर

 
At July 8, 2017 at 8:02 AM , Blogger Onkar said...

बहुत बढ़िया

 

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home