Thursday, August 4, 2016

ईश्वर से संवाद


तुम कितने 
जलकुकडे हो
जो चीज  
मुझे अच्छी लगती है
तुम भी वही 
लेना चाहते हो
मैं हूँ इस लोक की 
नन्ही प्राणी
तुम क्यों 
मुझे सताते हो
तुम तो 
तीन लोक के सम्राट
जो चाहो 
तुम्हारे पास 
फिर क्यों 
मुझसे जलना

मुझे नहीं आता 
किसी को सताना
रुलाना या चिढ़ाना
तुम तो जैसे माहिर हो

वैसे हमारे 
संसार लोक के लिए 
कहते है
जिसके पास जो है
वो उतने में 
खुश नहीं होता
छीन कर ही 
खुश होता है
तुमने भी वही किया
मैं साधारण मनुष्य 
तुम भगवान
तुम में और मुझमे
क्या अन्तर हुआ?
तुम भी धरती पे 
यही खोजते हो
कौन किस बात में खुश है?
मगन है?
उस की 
उसी बात से 
उसे जुदा कर दो
तोड़ दो बीच का बांड
ताकि एक अकेला 
इधर रह जाये
दूसरा उधर
दोनों तड़पे
लेकिन 
कभी मिल न पाये
क्यों करते हो ऐसा?
क्यों मोल लेते हो दुश्मनी?
क्यों लेते हो बद दुआ?
क्या तुम्हे एक दूजे का 
मिल कर रहना
रास नहीं आता?

तुम्ही तो कहते हो
सब एक होकर रहो
प्यार से रहो
नफरत मत करो
फिर
तुम क्यों सिखाते हो
हमें रोना, बिलखना, चीखना, चिल्लाना?
बेबसी के आंसू रोना
तुम तो हमारे सब कुछ हो
तो हमें दुखी करके
खुश क्यों होते हो

एक बार सोचना
ध्यान देना मेरी बात पे
खुद समझ जाओगे
फिर छोड़ दोगे ऐसी
घटिया हरकते
तब हम तुम्हे और मानेगे
हमारे दिल में 
श्रद्धा बढ़ जायेगी
तुम्हारे लिए
एक बार ही सही
सोचना जरूर

Monday, August 1, 2016

उमेश भैया आपके लिए


आज तुमसे बिछड़े 
चार दिन हो गए
देखो न सब कुछ 
वैसे का वैसा हैं
जैसा तुम छोड़ गए थे
तुम्हारा चश्मा, रुमाल,
पर्स, घडी
सब वैसे ही है
तुम्हारा मोबाइल,
लैपटॉप सब 
तुम्हारी उँगलियों का 
स्पर्श ढूंढ रहे है
तुम्हारी अलमारी से झांक 
रही किताबे तुमको
पूछ रही है
तुम्हारे कपड़ो से अभी भी
तुम्हारी महक आ रही है
तुम्हारे फ़ोन पे अब भी तुम्हारी 
कॉल्स आ रही है
अब तुम बताओ 
तुम कहाँ हो?
हम सब के बिना 
कैसे रह रहे हो?
नई जगह पे दिल तो तुम्हारा भी 
घबरा रहा होगा
आ रही होगी 
जोरों से हिचकियाँ
हमारे याद करने की
जब से तुम गए 
एक पल को भी नहीं भूले
आँखों से तुम 
ओझल ही नहीं होते
हर वक़्त तुम्हारी याद, 
तुम्हारी चिंता
क्योंकि यहाँ हम सब के  लिए तो सब है
तुम तो बिलकुल अकेले हो
नितांत ही अकेले

जो अपना था वो सपना हुआ अब

खाक हो गया जिस्म
बच गई यादें
जो उम्र भर रहेगी
हम सबको सालती

खो गई वो 
मोहक मुस्कान
जिसका था 
जमाना गुलाम

तेरा हंसना, 
मुस्कुराना
हर एक को 
मोहब्बत से 
अपना बनाना
बन गया 
सपना सुहाना

अब कोई नहीं आएगा
न हँसाने, न गुदगुदाने, 
न अपना बनाने
न ही मार्ग दिखाने

उम् भर रहे जिनके 
पथ प्रदर्शक
आज वो 
दुनिया के लोग 
गायब है
लुटा दिया 
जिसके लिए 
अपना सब कुछ
हिंदी साहित्य के वो 
इंसान नदारत है

स्वार्थी इस दुनिया में
रहने का क्या फायदा
अच्छा किया 
चल दिए तुम वहां 
जहाँ 
न हो कोई झूठा कायदा

तुम रहो कहीं भी
यु ही सितारे से 
जगमगाते रहना
न दे दुनिया 
तुम्हे कुछ
फिर भी तुम 
कुछ गम न करना

तुम्हारा साफ दिल 
तुम्हारे साथ है
तुम्हारे कर्मो की स्लेट 
एकदम साफ है

सुनो अल्लाह के यहाँ 
इंसाफ बहुत पक्का है
होता है जरा देर से
लेकिन 
उस्ताद बड़ा सच्चा है

देना होगा हिसाब सबको
ये बात तो सच है
करने दो उन्हें दिल की
देखो क्या होता है
नहीं हुए जो तुम्हारे
उनका कौन होता है

(उमेश भैया को दिल से नमन)