Wednesday, May 25, 2016

नन्हा बचपन


गर्म दोपहरी में जब
सब सो जाते है
जागते है तब नन्हे सपने
आकार वही पा जाते है

झूला झूलना
चूरन बेचना
खट्टी मीठी इमली संग
दिन यु ही बीत जाते है

गुड्डा गुड़िया का ब्याह हो
सिकड़ी कंचे गुल्ली डंडा
सब याद बहुत आज आते है

कहाँ गए वो प्यारे दिन
अम्मा बाबू
दीदी भैया
सब यादों को महकाते है