Saturday, October 29, 2016

miss u umesh bhaiya n papa ji

मुद्दते गुज़र गई 
दीवाली का दिया जलाये
अल्लाह से कह दो
अब किसी गम को
मेरे घर का पता न बताये

न जाने 
कितनी सदियों से
आइना नहीं देखा
खुद को 
मुस्कुराते नहीं देखा
कब तक फिरूँ मैं
झूठा चेहरा चिपकाये

काली अमावस बन कर
जो गिरी आंगन में
उस बिजली से
अब और किसी का घर
न बर्बाद हो, 
कोई ऐसा बम न फोड़े
ऐसा पटाखा न जलाये

(दोस्तों 24 सालों से न तो एक भी दीप जलाया है न ही दीपावली मनाई है काली दिवाली बनकर एक दीवाली आयी थी जो सारी खुशियां छीन ले गई)😢😢😢😢😢😢

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