Sunday, August 21, 2016

तस्वीर से निकलो तो तुमको मानू


हमेशा मुस्कुराते रहते हो 
तस्वीर में
कभी तस्वीर से 
बाहर आओ तो 
तुमको मानू

हमेशा दिलाते थे यकीन 
अपने साथ होने का
आज जरा सामने आओ तो मैं 
तुमको मानू

फैलाते थे तिलस्म 
अपनी बातों से 
हम सबके दिलों में
अब कोई  नई बात 
सुनाओ तो मैं 
तुमको मानू

तुम हो, तुम्हारी यादें है, 
अच्छी अच्छी तुम्हारी बातें है
फिर से वहीँ 
महफिल सजाओ तो मैं 
तुमको मानू

चले गए हो जो बिना कहे कुछ
हम सब से बिछड़ कर
जाता है क्या कोई यु 
अपनों को छोड़ कर
तुम फिर से वही 
आने का वादा निभाओ तो मैं 
तुमको मानू

2 Comments:

At August 21, 2016 at 8:59 PM , Blogger दिगम्बर नासवा said...

दिल के गहरे जज्बात ...

 
At August 22, 2016 at 12:03 AM , Blogger Unknown said...

मन को छूती अभिव्यक्ति
सादर

 

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