Monday, December 28, 2015

जाता हुआ साल

आहिस्ता आहिस्ता 
कोई जा रहा है 
मुझे छोड़कर
देकर निशानियां  अपनी
न जाने कितनी
कुछ अच्छी
कुछ बहुत अच्छी
लेकिन
कहती हूँ तुमसे
एक बार फिर
मत जाओ यूँ
मुझे अकेला छोड़कर
नहीं रहना चाहती
तुम्हारे बिना
आदत सी जो 
हो गई है तुम्हारी
हर लम्हा
हर घडी
तुम ही याद आओगे
क्यों जाते हो मुझे छोड़कर
क्यों इतना सताते हो????😢😢😢😢

जहीन हो तुम



तुम्हारा 
पैनापन
तुम्हारी 
ज़हीनत
सच
मुझे उलझा देती है
नहीं 
समझ पाती मैं
तुम्हारी दूरदर्शिता
खुद को 
बच्चा सा पाती हूँ
तुम हो कि 
न जाने
कहाँ तक 
सोच लेते हो
जहाँ तक 
मेरी बुद्धि की रश्मि 
पहुच भी नहीं पाती है 
तू भी न सच्ची
असंभव हो
अदभुत हो
अनमोल हो
दुनिया के सबसे 
जहीन इंसान हो