Monday, August 17, 2015

दर्द ही तो देता है
जीने की राह
एक खामोश सा मौसम
वीरान सा जंगल
अकेली मासूम हिरणी
सिहरते पेड़
चीखती बर्फीली हवा
साथ में सर्द
ठंडी खामोश रात
और तुम्हे सोचती मैं

केमिकल रिएक्शन


क्यों जान लेता है 
मन वो कुछ
जो नहीं जानना चाहिए
पढ़ लेता है वो भी
जो नहीं लिखा होता 
आँखों में
महसूस लेता है 
अनकहा दर्द
जो रिस रिस कर 
होंठो पे 
कभी आया ही नहीं
शायद 
मन का विज्ञान 
बहुत विचित्र है
जो बात 
ढलके आंसू भी नहीं बता पाते
वो मीलों दूर बैठी 
माँ समझ जाती है
क्योंकि 
उसकी छाती में होती है 
अजीब सी जलन
जो अपने बच्चे का दर्द 
उसे दूर देश में भी 
बता आती है.....
यही तो कहलाता है 
केमिकल रिएक्शन
जो एक में होता है 
दूजे में नजर आता है