Tuesday, July 21, 2015

gam ka rishta

दर्द कही तो
पिघलेगा
कहीं तो लेगा
कुछ सांस
जब मिली
उसे किसी
अपने से ऊष्मा
बह निकला
आँखों से
आंसू बनकर
कभी खून की शक्ल
भी ले सकता है
अंधेरो से
गम का रिश्ता जो
बहुत गहरा है

tujhe sochte hi

तुझे सोचते ही
भूल जाती है 
दुनिया
साथ हो तो 
न जाने क्या हो
तेरी बातें सोच कर 
आ जाती है 
लबो पे 
मुस्कराहट
तू साथ चले तो 
उदास शाम भी 
गुलज़ार हो
तेरी याद से 
महकती है 
मेरी ज़ात
मेरी हर सांस
तू पास हो तो 
मेरा दिन 
मेरी रातें 
खुशगवार हो
ओ मेरे हमनशी
तू है तो 
जन्नत है 
मेरी दुनिया
तेरे बिना तो मैं 
ख़ाक हूँ