Monday, July 6, 2015

तुमसे मैं सम्पूर्ण हुई


उम्र की ढलान पर 
हम तुम 
साथ चलते हुए
महसूसते है 
एक दुसरे का साथ
कितना 
जरुरी सा लगता है
खाली खाली सा होता 
अपना दिन
तुम्हारे होने मात्र से
भर उठता है
अब शायद 
हमारी जरूरते 
बढ़ गई है 
तुम्हे भी चाहिए 
एक ऐसा 
जो 
रिटायर होने के बाद का 
तुम्हारा खालीपन भर सके
मुझे भी चाहिए 
एक ऐसा जो 
मेरे जोड़ो के दर्द को 
महसूस कर सके 
दिला सके 
मुझे याद 
वक़्त पे 
दवाई खाने की
दांतो में हो दर्द हो 
तो 
डॉ को दिखाने की
साथ में हो सके 
सुबह की  ताज़ा सैर 
ताकि 
शुगर और बी पी 
दोनों
कण्ट्रोल रह सके
अब जब 
दुनिया की सारी चीजे 
बेटी बेटा 
सब सिचुएशन 
अंडर कण्ट्रोल है 
तो मुआ
हमारा और तुम्हारा 
शरीर ही 
आउट ऑफ़ कण्ट्रोल 
हुआ जाता है 
जब वक़्त है 
अपने लिए तो
ठीक से जिया भी तो 
नहीं जाता है
ईश्वर भी न जाने
कैसे खेल रचता है
कैसे अचानक मिलाता है
उम्र भर के लिए 
एक कर देता है
तुम मिले तो मैं
सम्पूर्ण हुई
तुम्हारे लिए ही 
शायद
मैं इस धरती पे 
रची गई 
शुक्रिया जीवनसाथी
उम्र भर साथ निभाने का 
साथ चलने का
मुझे अपनाने का

mohabbat unhi se

ख़त लिखे 
और 
फाड़ भी दिए
करते रहे मोहब्बत 
लेकिन
उन्ही से छिपाते रहे
सिलसिला था
 ये मोहब्बत का
आँखों से दिख गया 
कैसे छिपता 
ये तो दीवानापन था 
खुद से ही 
शरमाये फिरते है
हम तो आज भी 
उन्ही से 
मोहब्बत करते है