Wednesday, June 10, 2015

एक याद

कहाँ गए वो दिन 
जब शर्मा कर दुपट्टे से 
मुह छिपा कर 
भाग जाया करते थे
जरा सी तारीफ
गालों को गुलाबी 
कर दिया करती थी
बात करते हुए 
नजरे न मिलाना
अंगूठे से जमीन को कुरेदना
सब आज भी बहुत 
याद आता है
चले भी आओ कि
आज भी दिल
तुम्हारे लिए ही 
धड़क धड़क जाता है
वो मासूम सी आँखे
भोला सा चेहरा 
शरबती बातें
सब तुम्हे ही बुलाता है
कैसे भूल जाऊ तुम्हारे साथ
बिताये दोपहरी के वो पल
जब कोयल की कूक से
सारा आलम महक जाता था.....

(एक याद जो दिल में छपी है तुम्हारी)


जब रोने का दिल करे तो

जब रोने का दिल करे

किसी दरवाजे से चिपक जाना
किसी गरीब की रोटी बन जाना
किसी बेरोजगार की नौकरी खोज लाना
किसी बीमार की दवा बन जाना
किसी विधवा माँ की जवान बेटी के लिए
वर खोज लाना
किसी गुंडे को मानवता का सबक पढ़ाना
किसी सिसकते बच्चे के साथ कुछ देर के लिए बच्चा बन जाना
किसी वृद्ध के साथ कुछ पल बिताना
किसी माँ को उसके खोये बेटे से  मिलवाना
और भी बहुत काम है जो लिखने से रह गए है उन्हें करना और सबसे करवाना

सच्ची आंसू तो बचेंगे ही नहीं अच्छा ही अच्छा महसूस होगा सो अलग

तुम्हारे हाथ

दुनिया के साधारण काम
जैसे खाने बनाने कपडे धोने
 या 
बर्तन मांजने के लिए ही 
नहीं होते ये हाथ 
या फिर 
फाइलों का बोझ उठाने 
जेब में हाथ डाल कर घूमने के लिए 
नहीं बने होते ये हाथ
जब तुम इन्हें प्यार से थाम लेते हो प्रिय
तब अच्छे लगते है
हाथो में हाथ
कभी थाम कर तो देखो
महक उठती है रात
जी उठता है प्यार
जब भरती हो तुम उसास

तुम्हारा सवाल

तेरी याद में रोना
अच्छा लगता है प्रिय
आँखे स्वतः भर भर आती है
तुम्हारा सवाल
रोती क्यों हो?
मैं कहती हूँ 
यादें है तुम्हारी 
बार बार भिगो देती है
अब मेरी आँखे कोई
रेगिस्तान के बादल नहीं
जो यु ही घड़ घड़ा कर चले जाये
आखिर तो बरसना है उन्हें
क्यों
क्या कहते हो तुम????

Tuesday, June 9, 2015

kirchi kirchi ankh me

किरची किरची 
आँख में 
समां गया कोई
देता रहा टीसन.. 
दर्द बढ़ा गया कोई
अपना कहूँ 
या
 बेगाना
याद दिल में  अपनी 
जगा गया कोई
भूल जाने को
 दिल नहीं करता
पास आने से उसके
 है दिल डरता
ये अजीब सा रिश्ता 
बना गया कोई
रुकते नहीं कदम
साथ चलते रहे हम
कानो में 
फुसफुसा गया कोई
आ जाओ की 
मोहबत को अंजाम मिले
दिल की धड़कनो को सुना गया कोई