Monday, October 12, 2015

तुम्हारा भगवान्


आज पूजाघर साफ करते हुए
कुछ पुराने सिक्के मिले 
जो हमने दीवाली पर 
साथ साथ अर्पित किये थे 
गणेश लक्ष्मी पर
साथ ही मिली है 
कुछ ख्वाहिशे 
जो तुमने दबाकर रखी थी 
रामायण के भीतर
जब कोई नहीं सुनता था 
तुम्हारी पुकार
तुम सीधे ईश्वर से 
संवाद किया करते थे
और ईश्वर भी जैसे 
पूरी दोस्ती निभाता था 
तुम्हारे साथ
हर जायज नाजायज़ मांग को 
अंततः 
मान ही लेता था तुम्हारी
याद है मुझे भी तो तुमने
इसी तरह जिद करके 
ईश्वर से पाया था
भूख हड़ताल जो कर दी थी 
बेचारे के सामने
विवश होकर उसे तुम्हे 
मुझको सौपना ही पड़ा
वो दिन और आज का दिन
तुमने अपना भगवन ही बदल दिया
मुझे जो अपना भगवान् बना लिया
सच कितने बेवफा हो तुम
उसे ही भूल गए 
जिसने तुम्हे सब कुछ दिया

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