Thursday, March 13, 2014

सैनिको की पत्नियो को नमन..कलेजा हो तो इनके जैसा

देख कर उनका शव
कलेजा हलक को आया
कौन कहता हैं शहीद  की  बेवा

रोती नही..हां ..........
उनके आँसू ज़रूर
गर्व के होते हैं
रो कर भी 

अपने लालो को 
वो बनाना चाहती हैं 
अपने पति जैसा शूरवीर..
देश की खातिर 

जो काम आए..
लड़े जो जम के 

दुश्मनो के साथ....
मर कर देश के 

काम आए...शहीद कहलाये