Friday, January 24, 2014

क्यूँ जाता तुम्हे तन्हा छोड़ कर..अगर वो तुम्हे अपना समझता


वो नही आएगा..बंद कर लो झरोखा अब दिल का..
रह ना जाए कोई सुराख...गम मे दिल बहलाने के लिए..

दिल गुलज़ार हुआ जाता हैं..
तेरी खुश्बू मे घुला जाता हैं..
ना जाने ये मौसम इतनी खूबसूरत
बहार कहाँ से लाता हैं..

हम कविता को नही कविता मे तुझको पढ़ते हैं..
जैसे दर्पण मे दर्पण को नही... खुद को निहारते हैं..

सफ़र यू ही जारी रहे..
वक़्त यू चलता रहे..
ना थामे ना रुके...
मंजिले करीब आती रहे..

क्यूँ जाता तुम्हे तन्हा छोड़ कर..अगर वो तुम्हे अपना समझता

तन्हा तू नही दौलत हैं तेरे पास उनकी यादों की..
संभाल अब वो ही दौलत...जब तक नही हैं वो तेरे पास..

आपकी खुशी मे छिपी हैं हमारी खुशी
आप खुश तो..हम भी खुश