Wednesday, July 10, 2013

मेरी तहरीर को गर तुम पढ़ लेते... खुद ब खुद आँसू निकल पड़ते..

ताप मे मे भी छिपा अपना आप हैं..
तभी सुख मिलता हैं...वरना तो दुनिया के ताप जला डालते हैं..

अनदेखे  अनचिन्हे लोग....दुनिया ही अजब निराली हैं...
माँ के पेट मे भी रह कर पिता की आवाज़ पहचान डाली हैं..

भरोसा आता नही हैं कमाना पड़ता हैं
बड़ी मुश्किल कमाई हैं ये...क्यूँ तुम्हे कुछ पता हैं..

डर और अंधेरे का स्वाभाव एक सा होता हैं..
बस ज़रा सी आँख दिखाओ...गायब..

सुन ना देखना साथ साथ होता हैं...
जब वो नही होता...शून्य ही बचा रहता हैं..

मेरी तहरीर को गर तुम पढ़ लेते...
खुद ब खुद आँसू निकल पड़ते..

पिंजरा हुआ पुराना...मन तब भी नही भरा...दुनिया वालों से..

पेड़ो से भी महक आएगी हमारी...
गर लोग महक को पहचान पाएँगे..

जंगल मे आग सी फैल गई हैं हमारी बातें
ना तुमको पता ना हमको खबर..

तुम्हे भुलाना मेरे बस मे नही...
हाँ बुला ज़रूर सकते हैं..

वो कोई बच्चा नही जो तेरे घर आया हैं...
वो मेरा बचपन हैं जो लौट आया हैं..

Monday, July 8, 2013

महाप्रलय



जाउ मैं जब दर्शन करने..
पहले ही विदा करना..
क्या पता ना लौटू कभी...
देकर अपना प्यार विदा करना..
सुना हैं जब शिव खोलते हैं अपना
तीसरा नेत्र .....................कोई नही बच पाता हैं..
बिना बुलाए ही महाप्रलय चला आता हैं..
नही मिलती किसी की भी देह ढूँढे से...
बह कर सब कुछ शिव मे ही समा जाता हैं..
इतनी लाशो मे मेरी लाश पहचान भी कहाँ पाओगे..
मेरा क्रिया कर्म भी तुम नही कर पाओगे...
सो मत सोचो...कुछ भी बुरा किसी के लिए भी..
पता नही किस वेश मे तुम मुझे वापिस पाओगे..



..


.

साहस

ये साहस भी आ जाएगा
जब मिलेगा एक .झटका
उस पुरुष द्वारा..नही सह पाएगी वो..
अपने समर्पण के बदले..इतना कुछ..
छुड़ा लेगी अपना सर्वस्व...
अपने अहम की खातिर..

..


.