Thursday, June 20, 2013

गीतो मे कौन हैं...




गीत मेरे हैं तो क्या हुआ..
गीतो मे कौन हैं...
कभी ये सोचा हैं....
उँची पहाड़िया से गूँजती सदा..
पलट कर आती आवाज़......
आज भी बुलाती हैं...उसे...
तुम्हे पता हैं.......

रिश्ते लिपस्टिक जैसे नही होते..




रिश्ते लिपस्टिक जैसे नही होते..
रोज़ अलग रंग, कपड़ो से मॅच करता
लगा लो होंठो पे..

ये तो फेविकोल की तरह होते हैं...
चिपक जाए तो मौत के बाद भी..
दूसरी दुनिया तक....सफ़र करते हैं..


चाहो तो पूछ लो...सोहनी महिवाल से...

परिशिस्थ

पत्र के परिशिस्थ
यही रह गये थे शायद
जब पत्र तुम्हे भेजा था..
तभी मायने नही मिल पाए पत्रो को..
क्यूंकी पत्र ही अधूरा था..
फिर से भेजा हैं पूरा पत्र..
पढ़ कर खलिश मिट जाएगी..
एक बार फिर से तुम मे...
नई जान आ जाएगी...