Thursday, May 2, 2013

बड़े दादा की पुण्य तिथि पे विशेष - 29th April 2013

जो कहा वो करके दिखलाया
दादा हमने आपको अपना आदर्श बनाया

जीवन भर रहे अमीरों की तरह
शौकीनी मे कोई आपका पार ना पाया
लेकिन जब जीवन मे उतार चढ़ाव आया
भूल गये सब अमीरी जीवन गुरु अनुसार बनाया

वैराग्य मे नही था कोई आपके बराबर
फटी चादर से भी कमीज़ का काम चलाया
दादा अपने तो कमाल कर दिखलाया

जब भी देखी कोई दुखी स्त्री
खुद को भी स्त्री रूप बनाया
करने को उद्धार हम सबका
बाइबिल गीता का ज्ञान हमे सरल कर बताया

दिया हम सबको गीता भगवान
जैसा अनमोल हीरा...
उनके भीतर भी ज्ञान ठहराया
जो रह गया आपसे काम अधूरा
गीता भगवान ने आगी बढ़ाया

सात कड़ियो की माला के रूप मे
हमे प्यारे प्यारे ब्रह्म ज्ञानी दिए
जिन्होने हर कदम पे हमारा साथ निभाया
नही रहने दिया हमे कभी भी अकेला
हर दुख मे हमे गले से लगाया

बहुत एहसान हैं दादा आपके
हम सब पे...हम भी करे आपका कार्य
मन ही मन हमने यही निश्चय दोहराया..


अपने पापा की याद मे..


अपने पापा की याद मे..

अपने हमसे रूठ गये
मानो सपने सारे टूट गये..
नही रहा अब कोई अपना..
बीच राह मे छूट गये...
पापा आप जबसे गये हो..
हमसे खिलौने भूल गये..




अब तो तुम को खुद पे नाज़ होगा क्यूंकी खुदा ज़मीन पे तेरे साथ होगा..


कब तक पकडोगे खुदा की उंगली
उसके बच्चे हज़ार हैं
अब तुम हो गये हो बड़े..
अब तुम्हारे पास कई यार हैं..
हँसो खेलो..गुनगुनाओ उनके साथ..
छोड़ दो उसकी उंगली
पकड़ लो अब किसी बेसहारे का हाथ..

क्या करे उन धड़कनो का
जो उसके करीब आने से ही मचलती हैं..
ऐसी नाज़ुकी से तो हम तन्हा ही अच्छे..
जिनमे यादें तो रहती हैं..

ज़मीन के झटके तो खा कर फिर से पनप जाते हैं..
लोगो ने जो झटके दिए उनकी कोई संभाल नही..
हड्डिया भी चूर चूर हो जाया करती हैं..
नामो निशा नही रहता..इन्सा का..

तुझे भुलाना कोई आसान नही..
भूल भी जाए अगर तो जिंदा रहना आसान नही..

अधाई कोस भी चल पाए तुम..ये कॅमाल किया...वरना तो जाने कितने सायने आज भी वहीं खड़े हैं इंतेज़ार मे..

अब तो तुम को खुद पे नाज़ होगा
क्यूंकी खुदा ज़मीन पे तेरे साथ होगा..

कुछ नया नही हैं
बड़ा देख कर छोटा भूल जाते हैं..
मिलता हैं जब परायों से सुख अपना भूल जाते हैं

दिखता हैं जब सुंदर सा मुखड़ा
हम तो अक्सर अपना घर भी भूल जाते हैं..




तू जो आया करीब मेरे

तू जो आया करीब मेरे
मेरी साँसों ने मेरा दामन छोड़ दिया

रह गई मेरी रूह भी
बिना साँस के, बिना आस के..

किया जो कभी तेरा ख़याल
दिल रुक गया तेरे पहलू मे..

मुझे मेरी भी खबर ना रही..
कब तुझे खुद को सौप दिया..