Saturday, February 9, 2013

बेनूर चेहरो मे रौनक भरने का हुनर तुम्हे आता हैं तुम तो वो जौहरी हो...जिसे हर हीरे को चमकाना आता हैं..







       आपके कंधे पे चड के बड़े हुए....
       आप से ही रश्क करे....खुदा खैर करे..

      करते हैं सिर्फ़ लाइक लाइक
      अब करनी पड़ेगी उनसे फाइट
      वरना पोस्ट पे मेरी भी कॉमेंट करे...
      फ़िज़ूल के लाइक से ना हमे बोर करे..

       खुशिया हैं चंदन की तरह
       सारी बाँट दो .....फिर भी महक नही जाती हैं..

      बेनूर चेहरो मे रौनक भरने का हुनर तुम्हे आता हैं
      तुम तो वो जौहरी हो...जिसे हर हीरे को चमकाना आता हैं..



नही ले सकते गुलाब तो दे दो प्यारे
लेना हो या देना एक ही बात हैं प्यारे


मत जाओ चिरागो मे अभी रोशनी बाकी हैं...
हम आ गये हैं..खुशी आनी बाकी हैं..

बुलंदी पे जाकर रखना संयम
नही करना पड़ेगा ठहरने को ज़्यादा परिश्रम

सपनो मत जाना मुझे छोड़कर
आज मैं बहुत अकेली हूँ..
नम हैं आज मेरी आँखे..
शायद मेरी महबूब की भी गीली हैं..

आपके बाग का गुलाब 
कल मिला मुझे रास्ते मे
कहने लगा मुझे फेक दिया मेरे सनम ने
जाने क्या सोच कर..
रो रहा आज मेरा दिल 
फिर भी मैं कहता हूँ..
हूँ ज़मीन पे उन्ही के कारण
ना जाने क्यूँ फिर आज भी 
उन्ही से प्यार करता हूँ..

चाँद की आदत हैं हौले से दिल लगाने की
फिर भी हिल जाता हैं मेरा दिल...आहट से उसके जाने की

तेरे आने से हैं हमारी खुशी
बैठो तो दो घड़ी कुछ बात करे
बनते अपना सुख दुख....
कुछ प्रेम का इज़हार करे

फूल हमे प्यारे हैं
आप फूलो के सहारे हैं
लो भर जाएगी जिंदगी खुश्बू से..
अब हमे नही चाहिए किसी के इशारे हैं..

सभ्य की परिभाषा बहुत कठिन हैं
रोता हैं भीतर से, लेकिन हँसना ज़रूरी हैं
नंगी पीठ तो क्या , घाव भी नही दिखा सकते
कुछ भी इस समाज के किए को
किसी को नही बता सकते...सब असभ्य ना कहने लगे इसी डर से चुप हूँ..

आपका बहुत खूब हमे देता संबल हैं.
हमे गर्व हैं की आप हमरे अंकल हैं..

इन्ही एहसास से तो जागती हैं जिंदगी
वरना तो सब मारे ही थे..उस दुनिया मे

लो पूरा हुआ वॅलिंटाइन वीक ...


कल था रोज़ डे
आज प्रपोज़ डे
कल चॅकलेट डे मनाएँगे..
परसो देंगे तुम्हे टेडी 
फिर प्रॉमिस दे पे तुम्हे अपनाएँगे 
अपना कर तुम्हे
देंगे एक प्यारा सा हग
कुछ इस तरह हॅग डे मनाएँगे..
लो पूरा हुआ वॅलिंटाइन वीक ...
अब पूरे साल  
ओ मेरे वॅलिंटाइन 
तेरे संग गाएँगे...
प्रेम वर्ष मनाएँगे..

नज़्म तुम्हारी हैं


नज़्म तुम्हारी हैं 
तुम्हारी ही रहेगी
चाहे तुम खुद 
नज़्म से पूछ लो 
नाम दो ... ना दो....
तुमसे ही सब कहेगी..
अपने कभी नाम के 
मोहताज़ नही होते..
जो नाम चाहते हैं...
वो अपने नही होते

सारे तीरथ कर डाले..
महा कुंभ भी हो आए..
खाना छोड़ दिया 
एक फल भी
जो था तुम्हे
बहुत पसंद
फिर भी मेरे मन को..
नही पढ़ पाए..

यादों की रियासत पे कौन कर सकता हैं कब्जा..
तुम्हारे सिवा यहाँ कोई नही बस सकता..

नमी हैं उसकी आँखो मे.. रोया हैं याद मे बहुत मेरी.. क्या करू मज़बूर हूँ... वरना मिलने मे कैसी देरी?


तेरे मिलने से भूल जाती हैं दुनिया..
क्या ये किसी कयामत से कम नही???

अब नही आएगा कोई गैर रास्ते मे..
हमने आज से पनाह देना छोड़ दिया

दोनो बुद्धू हैं 
हर हाल मे मिलेगी
ये क्यूँ नही सोचते..
क्यूँ अपने से भूल करता हैं.

किया जो प्यार हमसे तो
कुछ नही पाओगे..
जमाने की आग मे
जी भर के जलाए जाओगे..

नारी का जो करे अपमान
कैसा हो उसका रास्ट्र, कैसा हो उसका गान

ना जा अभी...
रात नही ढली..
सुन ले ओ मोरी सखी..

नमी हैं उसकी आँखो मे..
रोया हैं याद मे बहुत मेरी..
क्या करू मज़बूर हूँ...
वरना मिलने मे कैसी देरी?

आज से तेरे सपने मेरे हुए..
तू भी मेरा हुआ...
तेरा सब कुछ मेरा हुआ..
कहों तो अब आँखे खोल दूँ...

मिलन हमारा
निस्चित था सदियो से
कोई संयोग नही था..
रचित था सब पहले से........
परमात्मा का प्रयोग नही था..

जोगी तुम ना रोना
ज़लज़ला आ जाएगा..
डूब जाएँगे हम सब
हमारे बच्चो को कौन खिलाएगा

जिंदा लाशे ही तो सताती हैं
मुर्दे हुई तो नया जहान पा जाती हैं

तन्हाई इतनी अच्छी हैं तो 
महफ़िल उनकी क्या होगी
सोचा करते हो हरदम उनको,
मिली  तो शोखी क्या होगी

यही तो कहा हमने..
सोचो मत ज़्यादा..
दौड़ के मिल आओ..
आने वाला हैं वॅलिंटाइन..
कुछ तो नया कर आओ..

Thursday, February 7, 2013

Happy Rose Day






जो खुद गुलाब हो 
उसे क्या गुलाब दू...
बस गया जो रूह मे...
उसे कैसे निकाल दू...
हर साँस...हर नफस मे
वो समाया......हैं..
उसके सिवा अब कुछ भी
नज़र ना आया है....
बहुत प्यारा सा रिश्ता हैं..
दिल का दर्द से....
दर्द भी अब नही रहा
पराया हैं....
समझ नही आता..
इस प्यार भरे रिश्ते को 
कैसे प्याम दूँ...
उतर  गया जो रूह मे....
उसे कैसे निकल दूँ..
तू ही बता मेरे हमसफ़र
अपने इस प्यार को...
क्या नाम दूँ.........
अपर्णा (०७.०२.१३)


Wednesday, February 6, 2013




डरना कैसा मौत से...
मरना तो हैं एक दिन
बारिश हो या धूप हो...
पता नही जिंदगी 
कितने दिन?

जमाने के साथ चल कर क्या करोगे...
वो तुम्हे हर बार पीछे छोड़ देगा..
तुम कितने भी लंबे डॅग भरोगे....
ऐसा ही हैं दुनिया का दस्तूर..

तेरे दिल पे हुकूमत कैसे कर लू...
तूने तो ना जाने कितनो को अपना मंत्री बनाया हैं..

तेरे मिट्टी के आँगन मे छिपा तेरा प्यार हैं..
सेमेंटी सी लिंक.......... हृदय रहित पुरुष सा खड़ा मुस्कुराता हैं..

अच्छा हैं ....मेरे किस्से
तुझे खनखनाते हैं, गुदगुदाते हैं
ये किस्से तो हम सिर्फ़ 
तेरे लिए ही बनाते हैं...
तुझे ही सुनाते हैं....चाहे कसम ले लो...

बहुत जोरो से बादल गरज रहे हैं...
लगता हैं आज आसमान सर पे उठाने का इरादा हैं...








गर मैं बदल जाउ
तुम सह ना पओगि
मुझे पता हैं तुम
मेरे बगैर एक पल भी
रह ना पावगी
मेरी खामोशी तुम्हे
अच्छी नही लगती
मेरा तारीफ करना भी 
तुम्हे शर्मा सा जाता हैं..
मैं सवाल करता हूँ...
तुम टाल जाती हो....
मैं उदास होती हूँ..
तुम भी सहम जाती हो..
कैसा हमारा ये रिश्ता हैं..
ना तुम समझ पाती हो
ना मैं समझ पाता हूँ..






दो दिनो की लगातार बारिश ने 
सारा शहर धो डाला हैं
लग रहा हैं सब कुछ 
साफ साफ...ये क्या कर डाला हैं
धुल गये सारे निशान..जो कहीं हमने
मिलकर बनाए थे....
नही बचा कुछ भी....
अब हम क्या वो सब निशान 
पहचान पाएँगे...
दरो दीवार, सड़क की तरह...
सोचती हूँ क्या कभी हमारा मन भी 
धुल सकता हैं.....
आए कभी कोई ऐसी बारिश...
क्या सब कुछ तेज़ बारिश मे
बह सकता हैं...??????????????






चिल्ल्लर का तुम 
करते भी क्या????
टके से नही चलती जिंदगी....
अब तो नोट भी 
कम पड़ जाते हैं..
ना हो भरोसा तो, 
किसी भी बड़े से पूछ लो...
सब रोते नज़र आएँगे..
क्यूँ की चाहे जीतने भी
रुपये हो उनके पास
उन्हे कम ही नज़र आएँगे....