Saturday, February 2, 2013

खुली रह गई खिड़की उनके मकान की...

खाली आसमान..
खामोश आँखे..
पेट की आग
जीने की मज़बूरी...
भूखे बच्चे.........
थका हारा पति..
कहाँ से लाए...
वो सब ....
जिनसे जिंदगी मिले...
खुशिया लौटे...

कहीं से खुश्बू आई जफरान की..
लगता हैं....खुली रह गई खिड़की उनके मकान की...

मत देखना आईना सजने सवरने के लिए..
लेकिन ऐसा ना हो...तुम्हे गंदा देख 
चली आए वो लड़ने के लिए...

प्रेम तो किसी के बाँधे से भी बँध जाता हैं..
बस बंधन चाहिए गोपियो सा...
वात्सल्य चाहिए माँ जाशोदा सा..
सखा चाहिए अर्जुन सा..
मज़बूत डोर चाहिए राधा के जैसी...

मजनू देखे कई हमने..
ताकते राह कालेज की
सुबह हो या शाम..नही भूलते 
इबादत अपनी महबूबा की..

हम तुमको जमी पे उतार लाए हैं अपनी खातिर...
वरना तुम तो अर्श पे रहने के आदी हो..

आज से प्याज़ खाना छोड़ रहे हैं.....


प्याज़ उछल रही हैं
मॅंडी मे...
पता नही क्यूँ?
रोज़ बढ़ जाते हैं 

इसके दाम 
पेट्रोल की तरह,
पेट्रोल का तो 

समझ मे आता हैं
ज्वलनशील हैं 

झट से 
आग पकड़ लेता हैं..
लेकिन ये क्या..अब 
मुई प्याज़ को 

क्या हुआ..
सुंदर लड़की की तरह
भाव खा रही हैं
नखरे दिखा रही हैं
सोलह से चालीस 

हुई जा रही हैं..
शायद उसे पता नही...
चालीस के बाद
कोई नही पूछेगा उसे..
और हम भी ....
आज से 

प्याज़ खाना छोड़ रहे हैं.....
अब ना आना

मेरे देस मेरी लाडो...
अब तुम्हे ना 

झेल पाएँगे....
लहसुन अदरक से ही 
अपना जी बहलाएँगे..

Friday, February 1, 2013

धूप को चाँदनी


धूप को चाँदनी 
कहकर इसलिए 
पुकारा
छोड़ दे वो 
अपना तेज़, 
बन जाए कोमल 
तुम्हारी तरह....
बादलो मे से भी 
आती रही हैं 
एक आवाज़ 
जो देती हैं भरोसा 
तेरे मेरा होने का..
तभी तो सच को 
सच ही 
रहने दिया मैने...
और
बदल दिया 
अपने आँसू को 
मोतियों मे....
तुम्हारे लिए..

लेखनी जो चुप हुई तो 
पसर जाएगा गहन अंधेरा 
कौन करेगा रोशनी की बात...
कहाँ से आएगा सवेरा

बजा दिया जो दिल का साज़ 
शोले भी खाक हो जाएँगे..
तेरी शान के आगे वो भी
कहाँ टिक पाएँगे..............

छोटे बच्चे जल्दी सीख जाते हैं....
एक बार कोशिश तो करो......
एक दिन ऐसा भी आएगा.......
तुम्हारे बड़े कदमो को लाँघ वो
तुमसे भी आगे निकल जाएगा....

सबके नसीब मे 
कहाँ होती हैं बेफिक्री
ये तो बस फकीरो 
(खुदा की इबादत करने वाले) 
को नसीब होती हैं..


प्रेम के निशा


प्रेम के निशा
कुछ ऐसे ही होते हैं
वक़्त छूट जाता हैं
कहीं पीछे......
ये मज़बूत 
पेड़ की तरह......
आँधी, तूफान, 
बारिश मे भी
मज़बूती से
डटे रहते हैं..
नही धो पाती इन्हे 
समय की बारिश,
वक़्त की कड़क धूप 
सूखा नही पाती...
ये रहता हैं ज़िंदा 
हमारे जाने के बाद
क्यूंकी कहते हैं.....
मोहब्बते 
कभी नही 
मरा करती..
अमर हो जाती हैं...
सदा के लिए..



Thursday, January 31, 2013

यादों की गठरी बगल मे दबाए निकल पड़ी हूँ.. जाना था कहाँ..जाने कहाँ चल पड़ी हूँ..



तू मेरा हो भी जाता तो भी ना मेरा बोझ ढो पाता
मेरी भी अपनी आन हैं..अकेले जीने मे मेरी शान हैं..

दिल भरा हो, आँखो को हँसना पड़े..
ऐसा मौका जिंदगी मे बार बार आता रहे..

तलाश डाले सारे रास्ते कुछ भी ना मिला..
छोड़ के जाना था मुझे.थक कर वो अकेला ही चला..

यादों की गठरी बगल मे दबाए निकल पड़ी हूँ..
जाना था कहाँ..जाने कहाँ चल पड़ी हूँ..

जाओगे तो........ आओगे अम्मी कहा करती हैं..
सच पास आने के लिए दूरिया ज़रूरी हैं..

याद आ गया साथ गुज़रा वो पल...
जिसके सहारे जीते हैं हम आज कल

इबादत यू भी हुआ करती हैं
झुकता नही हैं सर..नज़रे सजदा करती हैं..

उनके सजदे मे दे दो जान..
वो उठ गये महफ़िल से तो
जान भी निकल ही जाएगी..

नियति की गाँठ नियति ही खोल पाए हैं
हम सब तो हैं कठपुतली...उसके इशारे पे नाच पाए हैं..

अच्छी तालीम से ही पूरी होती हैं हसरतें
हुकुम की तामील भी हुआ करती हैं..

दादा आप गये हो फिर भी जिंदा हो ..
हमारे जहाँ मे..दिलो दिमाग़ मे
तुम्हारा स्नेह याद आता हैं हमे....
हर ख़यालात मे...
आपको कभी ना भूल पाएँगे
आप हमेशा हमे यू ही याद आएँगे...
शत शत नमन...


Wednesday, January 30, 2013

वादा तो निभाना होगा.......



किया हैं वादा तो निभाना होगा.......
जनम जनम तुम्हे यहाँ आना होगा

मेरी चाहत मे तुम ऐसे खोए...
नज़र ना आए तुम्हे कोय
सब तरफ दिखे ऐसा उजाला
जैसे चाँद हो पूरणमासी वाला..

माया तो छल हैं,, प्रपंच हैं
तू माया से उपर माया का सरपंच हैं..(माया को भी देखने वाला)

इंसान इंसान की बात हैं ये..
जब अपना टकराए तो टूट जाए
बेगाना टकराए तो वो मुस्कुराए..

उदास शहर, बेगाने लोग,
भीगी शाम, सिसकते पेड़
सब तुम्हारी याद दिलाते हैं
अकेले मे तुम और ज़्यादा
याद आते हो..बार बार.....
हज़ार बार कसम से..

पत्थर पिघला तो मोम हो जाएगा
हाल जो उसने पूछा तुम्हारा तो..
वो भी खुशहाल ना रह पाएगा..

नींद को गिरवी रख तुमने
जो धन कमाया हैं
खरीद लो उस से सुख चैन
शायद वो ही तेरे ...काम आ जाए..



पुराना समय




पुराना समय, पुराना ट्रॅक
सबको कहाँ मिलता हैं
तू हैं नसीब वाला..तेरा दोस्त
हाथ पकड़ का तेरे साथ चलता हैं..
दोहरा लो फिर से वही कहानी..
जो भूल आए थे..
कर के किताब बंद..
पन्ने तक भूल आए थे...
खुशी का मौका फिर से आया हैं
देखो पुराना दोस्त आज
खुद चल कर तेरे पास आया हैं..


Tuesday, January 29, 2013




महबूब आया हैं..
मौसम भी साथ लाया हैं
बाज उठी हैं शहनाई...
लगता हैं बहारों का 
मौसम लौट आया हैं..

पुरानी आदते भी कुछ ऐसी हैं 
जैसे हो आईना अपना
किर्चि किर्चि बिखर जाओगे
तब भी अपना अक्स 
हर किर्च मे देख पाओगे..

नींद से अपनी पुरानी अदावत हैं
झाँक के लौट जाती हैं..
नही आती हैं मेरे घर की तरफ
शायद मुझसे आज भी घबराती हैं.


दूरी




ये दूरी हैं दोनो के दरमिया...
ये शब्दो को मिलने नही देती..
अटका देती हैं ज़ुबान..
फसा देती हैं तालू से ज़ुबान..
पता हैं दोनो के शब्द 
एक सुर मे निकले तो
जमाने मे कुछ नया हो जाएगा..
मिल जाएँगे धरती और आकाश..
संध्या का समय हो जाएगा..
संध्या किसे अच्छी नही लगती..
तुम ही बताओ..जब मिलते हैं
सूरज के लाल गोले से..
उतार कर झुर्मुट मे..अकेले अकेले..
कुछ तो नया होता होगा..हैं ना


बीते लम्हात


ठहरे हुए ज़ज्बात, 
बीते लम्हात
ना जाने कब
छोड़ कर 
चले जाते हैं
दे जाते हैं
गहरे जख्म, 
जो उम्र भर 
सालते रहते हैं..
पीड़ा ऐसी की 
जाने का
नाम नही लेती..
दर्द होंठो पे आकर 
रुक जाया करते हैं..
सच 
बीते हुए लम्हात 
हर वक़्त
जाने क्यूँ 
तडपाया करते हैं....


Funny photo effects

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