Tuesday, October 8, 2013

क्या तुम्हे कुछ भी याद नही..


मैं अक्स हूँ तुम्हारा
शायद तुम्हे याद नही...
तुमसे ही हैं जीवन मेरा
शायद तुम्हे याद नही
क्यूँ करते हो इस तरह
हिफ़ाज़त मेरी
नज़रो से..दूर रहकर..
क्या तुम्हे मेरा कहा
कुछ याद नही...
रात बीती, दिन बीते...
बीट गई हैं सदिया..
तुम्हारे बिन..
सच कहो...क्या तुम्हे कुछ भी याद नही..

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