Wednesday, September 18, 2013

ना खुद को बाटो ..ना मुझको ...हम बॅट नही सकते..

तुमने उसे जाने ही क्यूँ दिया..उस पार
जो उसे लौटना पड़े..अब करो इंतेज़ार...
मनाओ उसके बिना, अपने वृत और त्योहार...

ना खुद को बाटो ..ना मुझको ...हम बॅट नही सकते..

तुम संग बँधी ये डोर...
ले चल चाहे जिस ओर..
ओ मेरे चितचोर..........
चाहे मचाए दुनिया..
कितना भी शोर....
मेरे चितचोर...

अंश हो भगवान का तुम...
मूरत कैसे हो जाओगे....हाँ
तराशने से...तुम...और अच्छे
हो जाओगे..

जेठमलानी ने लिया क्यूँ अपने हाथ ये केस...
अच्छे ख़ासे हैं वो..फिर क्यूँ मोल लिया कलेश..

ईश्वर को मत दो कोई इल्ज़ाम
हम अपने करमो का फल पाते हैं...
वो तो बेचारा निर्दोष हैं बिल्कुल...
हम ही बुरे कर्म किए बिना नही रह पाते हैं..

कहाँ जा रहे हो बप्पा...बार बार आना तुम
मेरे घर आँगन मे...आकर खुशिया बरसाना तूम..

प्यार ना करे तो क्या करे..
खुदा की नेमत हैं ये.......
कैसे इसे बेकार करे????

उसकी थपकिया नही...मेरा चैनो सुकून हैं वो..
जो दे रहा हैं..वो मुझे चुपके चुपके..

यही हैं दुनिया....दुनिया के खूबसूरत  रंग....

जिन्हे लोग अपनी सियासत के बाल पे बेरंग करने पे तुले हैं..

मैं हूँ अपनी माँ की पहचान..
माँ हैं मेरी भगवान...उसने दी मुझे मेरी पहचान..

सब कुछ संभाल लो अपना..उड़ जाए तो
ना रखना मलाल कुछ अपना..

सज़ा लिया माँग मे सजना की तरह..
भोर का सिंदूर हैं ये..अपना हैं ये..

संभालना इसे....कहीं मोती लुढ़क ना जाए..


आप बदनाम नही हो सकते..
आपका नाम ही काफ़ी हैं..लोगो के लिए

1 Comments:

At September 18, 2013 at 3:24 AM , Blogger Rajendra kumar said...

आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (19-09-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 121" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.

 

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