Monday, February 11, 2013

हर दिन हैं नया..हर रात नई होगी... दोस्ती की हैं आपसे...तो मुलाकात भी होगी..


उथला पानी काई जैसा..
गहरा पानी सागर जैसा...
दोनो हैं पानी मगर...
सबका अपना अपना किस्सा

चलो तुमने ली साँस..हमे करार आ गया....
बेमज़ा थी जिंदगी...कुछ रंग छा गया... 

सोने के बाद ही आते हैं सपने...
तुम क्यूँ भर कर आँखो मे मुझको
रात भर जगते हो...

मैने सुना हैं बाँटने से बढ़ता हैं कोई कम नही होता
दिया हो या रोशनी...कोई अपना दम नही खोता..

हर दिन हैं नया..हर रात नई होगी...
दोस्ती की हैं आपसे...तो मुलाकात भी होगी..

दिल जला, मन चला तुम्हे क्या पता
तुम तो हो मस्त अपने मे...तुमको हमसे क्या गिला..

दो छल छल आँखे 
जैसे आकाश मे टंकी...
कहीं टंकी मे छेद ना हो जाए...
हम भरते रहे पानी..
आँखो से सारा बह जाए..

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