Sunday, September 2, 2012



सन्नाटे को तोड़े कौन, 
चुप की बाह मरोड़े कौन
कौन आए जीवन मे आगे, 

नई राह को जोड़े कौन??????
तुम थे तो जीवन था, 

हँसना रोना एक संग था..
...सब को बाँध के रखा था..

अब उस माला को जोड़े कौन...
तिनका तिनका बिखर गया हैं, 

मोती मोती दरक गया हैं..
विपदा जो सब पे आन पड़ी हैं, 

उस विपदा से उबारे कौन...
सन्नाटे को तोड़े कौन, 

चुप की बाँह मरोड़े कौन???????????



मरघट के इस डोम की कौन सुने फरियाद
सबको रहना अपने घर में..बिना अलाव के
बेचारा .................
अकेला वही बिताये पूस की सर्द रात..
जीना अकेले ...मरना अकेले....

 कैसा उसका जीवन हैं ?
करते हैं सब नफरत उस से ,
 बेचारे की क्या गलती हैं ?
वो तो करता अपना काम, 
नहीं करता कभी हमारी तरह आराम
क्यूंकि मौत कभी नहीं लेती विश्राम ....
.सर्दी गर्मी...धूप हो या बरसात..
चिताएँ जलती रहती दिन रात, 
कभी कभी तो ढेर सारा काम आ पड़ता
जब सारा शहर किसी अनजानी 
मुसीबत में जा फसता..
कभी बाढ़, कभी अंधी.. कभी सुनामी.. 
कर देते उसका चैन हराम
फिर भी नहीं थकता वो...
नहीं करता शिकायत किसी से..
मिला विरासत में उसे जो हैं डोम का नाम.




बची थी जो राख उसे भी
 गंगा मे प्रवाहित कर आए हैं
दोस्तो आज फिर देखो
 खाली हाथ घर आए हैं
ना रहा शेष अवशेष 
अब तो कुछ भी मेरे सामने..
था जो मेरा अब तक, 
गया परमात्मा की गोद मे
अब उसे किसी और के 
हवाले छोड़ आए हैं..
दोस्तो देखो आज फिर
 खाली हाथ घर आए हैं
बचे अब मेरे पास,
कुछ बिताए साथ पल,
प्यार, साथ और सौगात के पल..
कुछ नही उसको, 
अब तक हम दे पाए हैं
देखो आज हम एक बार फिर से
खाली हाथ घर आए हैं.......................
जो गया हमे छोड़ के..
क्या हमारे बिना
रह पाएगा, 
याद आएगी हमारी तो.......
खुद को नही तडपाएगा........................
देख लेना एक दिन
 वो भेष बदल कर
फिर से हमारे पास आएगा.............
करेंगे इंतज़ार उसका..
और क्या कर पाएँगे..
दोस्तो उसकी याद मे, हम उसके
पद चिन्ह्ो को अपनाएँगे..




जाने क्या समझते हैं खुद को जमाने वाले
करके प्यार हमसे, खुद को छिपाने वाले
बेसबब प्यार हैं तो क्या..
बेज़ुबान तो नही हूँ..आए प्यार जतानेवाले
कोमल सा दिल हैं..हमारा..

हम नही सबको प्यार दिखानेवाले
रह नही पाओगे मेरे बिना ..तुम भी
मान जाओ अब ................तुम भी...
मुझसे दूर जानेवाले ......................



क्या मिलता हैं तुम्हे मुझे सताकर
क्या तुम्हे अच्छी नींद आ जाती हैं
या कोई खोई हुई चीज़ तुम्हारी
तुम्हे वापिस मिल जाती हैं?
सच कहूँ दिल बहुत रोता हैं

जब तुम करते हो मुझे बहुत परेशान
नही देते उत्तर मेरे प्रशनो का
बन जाते हो जान कर भी अंजान
शायद ये भी तुम्हारी कोई अदा हैं
या चुपके से तुम्हे किसी ने आ कर
बता दिया हैं.....की
तुम्हारे दोस्त तुम्हारी इस अदा पे फिदा हैं
तभी दिखाते हो ऐसी नज़ाकत
करते हो परेशान
करते रहते हो अपनी मासूम बातों से मुझे
हर वक़्त हैरान?????





पति पत्नी का संबंध
होता हैं कितना अटूट
दूर रहे दोनो फिर भी
मॅन से होते हैं मज़बूत
आपस का समन्वय उन्हे

बाँधे रखता हैं.......
होती हैं पतली सी एक
विश्वास की डोर
जो उन्हे जोड़े रखती हैं
बंधन हैं अनोखा फिर भी
अपना सा लगता हैं
बनी रहती है उम्र भर
रिश्तो मे ताज़गी
बस उसे थोड़ी सी
उर्जा देनी पड़ती हैं
अंजान देश से आई गोरी
बन जाती हैं कब अंजान पुरुष के
दिल की मालकिन
खुद पुरुष भी नही जान पाता हैं
कर देता हैं सब कुछ उसके हवाले
खुद उस के आश्रित हो जाता हैं
स्त्री भी करती हैं अपना तन मन धन
सब कुछ उसे अर्पित
नही रखती शेष कुछ भी अपने लिए
हो जाती हैं प्राण प्रिया
अपने स्वामी के लिए
महसूस करती हैं गर्विता
सज़ा कर माँग मे सिंदूर
उसी सिंदूर के साथ
विदा हो जाना चाहती हैं संसार से..
अनोखा रिश्ता , अटूट प्रेम
भारत की देन ...
यही हैं सच्चा प्रेम.....




कबीर ने मौन धारा ..
अब कौन करेगा
जग में उजियारा..
किसमे हिम्मत ...............
जो कर पाए इंसाफ की बातें
कौन हैं जो ................
नहीं किस्मत का मारा.. ................
उठो कबीर ..........करो फिर से न्याय की बातें
जगाओ सबको ....................भरो जोश सबमे ..
खुदा .............नहीं हुआ हैं बहरा 
..फिर से बताओ सबको..
अब सबको तुम्हारी बातों का ......................
ही हैं सहारा....






आज फिर प्यार का गला घुट गया
चली गई फिजा उसका प्यार रह गया..
ज़माने ने उसके प्यार को रुसवा किया
सह सकी न वो ज़माने के सितम
मौत को उसने अपना कहा..

क्या प्यार करना गुनाह हैं ???
प्यार करके प्यार ज़माने को दिखाना गुनाह हैं ?
कई ऐसे प्रशन रह गए सामने..
प्यार ने dekho फिर प्यार को रुसवा किया..
चली गई फिजा उसका प्यार रह गया..
कब तक सहेगा प्यार ऐसा सितम..
कब हटेगी प्यार की ये बेडिया..
करेगा क़ुबूल जमाना... सच्चे प्यार को..
आज फिर प्यार का गला घुट गया
चली गई फिजा उसका प्यार रह गया..



हर बार करती हूँ बंद तुम्हे ताले में
तुम क्यूँ निकल आते हो..
सजाती हूँ अपने घर के बुक shelve में

तुम क्यूँ रात होते ही तस्वीर बन हर पन्ने पे नज़र आते हो..
पता हैं बहुत मुश्किल से काबू पाया हैं खुद पे
ये भी ठीक हैं लेकिन ..................

सुबह सुबह जब खोलती हूँ अपनी हथेलिया दुआ के लिए
तुम जीवंत हो जाते हो..
देखते ही तुम्हे रुक जाते हैं मेरे सारे काम
कुछ नहीं कर पाती हूँ
सुनो यही सब कारन हैं जो बंद किया तुम्हे ताले में
तुम क्यूँ बार बार बाहर आकर मुस्कुराते हो..
तुम्हे मज़ा आता हैं न मुझे मजबूर देखकर ...............सच्ची बोलना.. हैं न .


मेरे आने का था अंदाज़ पुराना
लेकिन मेरे दोस्त तुमने फिर भी पहचाना
ये भी अदा तुम्हारी हैं..
तभी तो हर बात तुम्हारी मुझे
आज भी प्यारी हैं .....................


कुछ पल की बेवफाई ने ये हाल कर डाला हैं
मांग लिया हैं दुःख खुदा से, खुद पे ही जुर्म कर डाला हैं

विश्वास की संजीवनी ही जान बचाएगी ..
चाँद की रौशनी ही पार लगाएगी   
बाधा भी कट जाएगी ............
धीरे धीरे  सब कुछ संभल जायेगा
आँखों से दिल का हाल कह डालो..
ख़ामोशी को भी हथियार बना डालो 
सब समझ में आ  जायेगा
अनकहा भी सामने आ  जायेगा ...............
सुना जो मैंने कहा..


आंधियो ने सारा शहर उजाड़ डाला हैं..
बची थी जो दिल की बस्ती
उसे भी उखाड  डाला हैं
क्या करूँ आ  कर तेरे मैखाने में..
अब तो कुछ भी नहीं मेरे पास
शहर का शहर हुआ वीराना हैं 


वीरान हो गई जिसके दिल की बस्ती..
उस से मौसम की बात करते हो..
क्या दोस्त तुम भी ...
बेवक्त मज़ाक करते हो..


न किसी को पंनाह दी..
न किसी को बसने दिया
तेरे जाने के बाद अपना मकान
उम्र भर ख़ाली रहने दिया..


सांसो की लड़ी लड़ी में पिरोया था जिसको
वो कैसे जा सकता हैं, मेरी वीरान आँखों को
कैसे बंजर बना सकता हैं..
आयेगा जरूर यहीं कहीं छिपा बैठा हैं..
लुका छिपी के खेल में वो मुझे ........
कभी नहीं हरा सकता हैं..