Friday, February 24, 2012

 
तुमने हमे छोड़ लॅप टॉप अपनाया
सजन तुम्हारा ये तरीका हमे ना भाया
पहले करते थे प्यार हमे हौले हौले
अब key बोर्ड से प्यार जताया
जाओ हम नही करेंगे तुमसे बात
लेकिन तुम्हे क्या..
तुमने तो फेस बुक को गले लगाया
कभी हमारी तरफ़ देखते नही अघाते थे
अब स्क्रीन पे अपनी नज़र गाड़ाया...
पहले मारो लॅप टॉप पे लात
फिर करो हमसे बात...
नही तो उसी से खाना बनवा लेना
और कपड़े बर्तन भी करवा लेना
बच्चे माँगे जब दूध तो
google.com से मंगवा लेना
अब मैं जाती हूँ अपने मायके
मुझे लेने आ जाना...

Thursday, February 23, 2012

आपके बेटे का आपसे
सवाल पूछना लाज़िमी हैं
आप ने भी कभी पूछे थे
अपने पिता से कुछ सवाल
जो आपके बेटे के जैसे सवाल नही थे.... कुछ अलग थे
जैसे पिता जी ये रोड कहाँ तक जाती हैं?
चलती तो रैल्गाड़ी हैं और आता शहर कैसे हैं?
सब कहते हैं कानपुर आ गया...
गाड़ी आएगी या कानपुर.....
आपके पिता जी भी चकरा जाते थे
वो भी आपके सवालो का
जवाब नही दे पाते थे...
आज वही हाल आपके बेटे ने
आपका कर रखा हैं...........
नोकिया वाले अंकल आंटी का नाम राधा कृष्ण हैं....
जूते ८ नो. के हो या १० नो.. के एक ही दाम मे आते हैं
नो. से दाम नही घट जाते हैं.....
या फिर गेंदे का फूल इतनी पांकुरी वाला होता हैं
कि अगर देने लगे तो दो दर्जन
लड़कियो के बाद भी ना ख़त्म हो
ऐसे ही अनगिनत सवाल उसे सताते हैं
आप ही की बच्चे का सामना नही कर पाते हैं
कोशिश करे...बच्चो के सामने बच्चे बन जाए
सवालो से पीछा छूट जाएगा...........
मॅन एक बार फिर......खुश हो जाएगा

अगर मेरी याद आए तो, सीधे उपर चले आना!!

मेरे मरने के बाद मेरे दोस्तों,
यूं आँसू कभी मत बहाना,
अगर मेरी याद आए तो,
सीधे उपर चले आना!!
रास्ता ना पता हो तो हमे बताना
हम तुम्हे लेने चले आएँगे
नही होगा तो गाड़ी भिजवाएँगे
तुम चिंता मत करना
अप्सरा का डॅन्स भी दिखवाएँगे
और भगवान से मेरी पूरी सेट्टिंग हैं
तुम्हारे रुके काम भी करवाएँगे
काफ़ी हैं इतना प्रलोभन
कि अभी और कुछ दिखाए....
कुछ और झूठ बोले तुम्हे फसाए
कर रहे हैं खुदा की मार्केट्टिंग
कमिशन तुम्हे भी दिलाए.......


Tuesday, February 21, 2012

तुम नहीं जानती


मैं सब जानती हूँ
मैं तुम्हे कनखियो से देख रही थी
जब तुम मुझे चुरा रहे थे
लेकिन मैं कुछ नही बोली
क्यूंकी मैं खुद चाहती थी कि
आजीवन मैं तुम्हारे साथ रहू
गुनगुनाउ तुमसे बात करू...
मैं तब से अब तक तुम्हारे साथ हूँ
यही मेरे लिए खुशी की बात हैं...
गुगुनाती हुए उन पुराने प्रेम गीतों को
जिनके बोल अब मुझे समझ आने लगे है .....
सच मे वो बोल मुझे मुझसे चुराने लगे हैं...

Monday, February 20, 2012

उन्हे हम पे प्यार आ ही जाता


तस्वीर
तस्वीर साथ हैं तो क्या
तस्वीर  से  वो निकल क्यूँ नही आते
हर पल साथ रहता हैं उनके मेरा मॅन
एक वो हैं की मेरे पास ही नही आते

साँसे
सिलसिला जो रुक गया
उनकी बातो का.....
धड़कने भी थम सी जाएगी
नही देगा साथ हमारा दिल
साँसे रुक सी जाएगी
उनसे कहना ना जाए कही
हमसे रूठ कर
वरना जिंदगी भी हमसे रूठ
दूर कहीं चली जाएगी

प्यार
उनके दिल मे होता अगर हमारा नाम
आशियाने मे ना नज़र आता
रहते हर वक़्त हमारे साथ वो
एक पल भी हमारा उनके बगैर  क्यूँ जाता
करते दीदार हर वक़्त उनका हम
हमारा समय व्यर्थ ही क्यूँ जाता
बहलाते  उन्हे हम  अपनी बातो से
उन्हे हम पे प्यार आ ही जाता

Sunday, February 19, 2012

इन बिगड़े दिमागों में, ख्वाबों के कुछ लच्छे हैं, 
हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।
ऐसा भी कही होता हैं प्यार को कोई ज़लज़ला कहता हैं
ज़लज़ला तो कुछ बचने नही देता..
उसके बाद तो इंसान कही का नही रहता हैं 
ग़ज़ल जब वो सुनते हैं
मेरे संग वो भी रो पड़ते हैं
 लोरी भी सुनाएँगे
साथ मे मिल कर गाएँगे
फिर आप जाना पर्वतो के उस पार
हम अपने घर मे सो जाएँगे 
वक़्त के साथ नई पीढ़ी, सब सीख जाएगी
नही रहेगी वो अल्हड़, सब जान जाएगी
लेकिन हमे सिखाना होगा..उनका ध्यान बटाना होगा
दिल की दिल मे रह जाती हैं
वो करीब आ कर चली जाती हैं
  
ऐसा भी कही होता हैं प्यार को कोई ज़लज़ला कहता हैं
ज़लज़ला तो कुछ बचने नही देता..उसके बाद तो इंसान कही का नही रहता हैं
ग़ज़ल जब वो सुनते हैं
मेरे संग वो भी रो पड़ते हैं
कैसे बताए तुम्हे
वो अब भी हम पे मरते हैं
 

चलो मेरा वजूद ही ला दो...


वजूद कहाँ मिलेगा मेरा
कोई ये बताए.....मदद करो मेरी
मुझे अपने आप से मिलवाओ
वरना मैं अधमरी हूँ....पूरी  मर जाउगी
दुनिया इतनी जालिम हैं..............
जानती हूँ जो खोजने निकली खुद को तो
वापिस नही आ सकूँगी ................
जो भी राह मे मिला..उसने बहुत तोड़ा हैं
सारे राह मुझे वक़्त ने मरोड़ा हैं
क्या तुम मेरा बचपन मुझे लौटा सकोगे
जो निकली थी खुशिया ढूढ़ने.......
उन्हे मेरे लिए ला सकोगे
नही ना......चलो मेरा वजूद ही ला दो...
बाकी मैं खुद ढ़ूंड लेती हूँ....

आज कल विचार ही नही आते

आज कल विचार ही नही आते
पता नही कहाँ चले गये हैं
ये मन को नही सहला पाते
कितनी बार सोचती हूँ
कुछ लिखू..लेकिन दिमाग़ साथ नही देता
दिल भी आज कल ....अपना नही रहा....
कोई आवाज़ नही देता...
पहले घूमाड़ते थे विचार..
झड़ी लग जाती थी...
नही होता था काग़ज़ कलम हाथ मे ...
मोबाइल के ड्राफ्ट मे ही नोट कर लेती थी
अब सब कुछ गोल सा हो गया हैं
कुछ नही सूझता....लगता हैं
विचारो ने अपना रास्ता बदल लिया हैं
क्या करे अब आप ही सुझाए
हो कोई नया रास्ता तो हमे भी बताए
हम अपने विचारो के साथ चलना चाहते हैं
साथ मे नया इतिहास भी रचना चाहते हैं
लेकिन जब विचार ही नही होगा मेरे पास
तो कौन देगा मेरा साथ.....
विचारो एक बार फिर आओ.....
मेरा साथ निभाओ...मत करो ऐसा
मैने हमेशा किया तुमपे भरोसा
आ भी जाओ.....मुझसे दूर ना जाओ..