Sunday, November 4, 2012

मोहब्बत एक जज़्बा हैं प्यार का...

  • मत लिखना मेरे भाई....वरना बाकी क्या करेंगे.....
    कब तक कागज बन ने का इंतज़ार करेंगे...


    मोहब्बत एक जज़्बा हैं प्यार का...
    सुकून का, एहसास का, विश्वास का..


    दिल मे हो महक प्यार की...तभी निकलते हैं ताजमहल लफ़जो के
    वरना कागज तो बहुत हैं दुनिया मे...बिखरा हुआ..


    दिल दिया होगा किसी को...


    आप का एतबार उनसे किया प्यार हैं...
    वो नही करते एतबार, उनकी उनपे छोड़े..


    तुम्हे कहाँ मार पाएगा
    मिलेगी जो तुमसे नज़र...
    बेचारा वही मर जाएगा..


    जो समझ गया इश्क़ के मायने....
    समझो पा गया...खुदा के नूर को 


    खंजर से मारना कत्ल हैं दोस्त..
    नज़रो से मारना प्यार की अदा 


    दुनिया लग रही हैं नई...हवा ने भी खुश्बू बिखेरी हैं...
    हर तरफ छाया है सुरूर मस्ती का..कही ये प्यार तो नही..

  • अफ़साना हैं तो अंजाम भी पाएगा..
    कहीं ना कहीं तो ठहर जाएगा


    सब हैं दुखी कैसे पता..
    मुझे तो अपने जैसा एक भी ना मिला..


    एहतियातन तुम भूले
    आदतन मै याद करती रही...


    कैसे कर लेते हो ऐसा...
    एक दूसरे से जूझे रहते हो..


    भर देंगे दवात तुम्हारी..तुम कलम चलाते रहो...
    लिखते रहो दस्ताने दुनिया..सबका जी बहलाते रहो...


    तुम्हारे शब्दों की हरारत .....बता देती है मुझे ......तुम्हारे मन का ताप ...
    तुम्हारी हर हरकत .....करती हैं मुझसे बात..सच हैं ना..

    तन्हाई पाती हैं निवास मन मे..
    क्या मतलब हैं उसे किसी शहर से..



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