Friday, November 23, 2012

कापती लौ, कापते हाथ और तुम्हारा साथ




  तुमने जब जलाया ही कापते हाथो से 
उसके साथ कुछ ऐसा ही होना था 
कहते हैं जैसा होता हैं बीज उसका फल भी 
बिलकुल वैसा ही होता  हैं 
प्यार से भी कापते हैं दिए 
कुछ ऐसा भी होता हैं 
जब कोई मिलता हैं जन्मो बाद 
फिर भी सब ठहरा रहता हैं  
यहीं हैं सच्चा प्यार 
यहाँ बरसो बाद भी सब नया लगता हैं 
नहीं होते शिकवे गिले आपस में 
प्यार जो व्यस्क हुआ करता हैं 
माफ कर देते हैं एक दुसरे की गलतिया 
जब आपस में मिलन हुआ करता हैं।।


1 Comments:

At November 23, 2012 at 2:08 AM , Anonymous Anonymous said...

This comment has been removed by the author.

 

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home