Saturday, October 20, 2012

मैं हार गई





तुम कुछ भी करो मुझे मंज़ूर हैं
जाना अब कभी नही तुमसे दूर हैं
अगर हुई मुझसे कोई भूल तो कहो ना..
लेकिन यू रूठ कर हमे रहो ना..
हमे अच्छा नही लगता...
लगता हैं सब खो गया हैं हमारा 
कुछ भी नही बचा 
खाली हाथ हैं हमारा
बता दोगे तो अब नही भूल को
दोहराएँगे..जो होगा तुम्हे पसंद..
वही कर जाएँगे....
लेकिन तुम यू ना मुह फेरना...
ना हमको जहाँ मे अकेला छोड़ना..
हम नही रह पाएँगे.....................
मरेंगे तो नही.....हा ......मरे ही कहलाएँगे...
कुछ समझ आया क्या तुम्हे...................




3 Comments:

At October 20, 2012 at 2:26 AM , Blogger suman.renu said...

अच्छी लगी आपकी कविता,,,बस ये गीत याद आ गया तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे,,,,,

 
At October 22, 2012 at 12:03 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks suman..

 
At October 22, 2012 at 8:51 AM , Anonymous Anonymous said...

nahi ........

 

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