Friday, May 25, 2012

फासला या फ़ैसला


फासला कब
सही होता देखा हैं
हर फ़ासले के बाद
तुम्हे मैंने अकेले मे
रोते देखा हैं........
रिश्तो से 
तटस्थ होना गर.........
इतना आसान होता..........
गिर जाती......
पेड़ो से पत्तिया यू ही
क्यूँ निशान...
रह जाता....
सब रिश्तो का
अपना अपना मोल हैं
फ़ैसले चाहे तू ....
कितने कर
लेकिन मेरे हक़ मे कर.....
नही रह सकता मैं
तुम्हारे बगैर
आख़िरी बार ही सही.........
फ़ैसला तो मेरे
हक़ मे कर.....

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