Wednesday, April 25, 2012

दिन निकल आया हैं, तारे गये हैं काम पे
चाँद चला गया हैं सोने, रात हैं आराम पे
आप भी जाग जाओ, कुछ काम करो
मस्त रहो, हँसो, और हंसाओ....



ना देंगे गर फूल गवाही तो वो बचेगा कैसे
जिसने नही किया गुनाह कभी ग़लती से भी..



बीन बजाने से मस्त हो जाता हैं नाग
बीन बजाते रहिए, नाच नाचते रहिए...


मुझे उलझा कर
तुम लौट जाओगे
केश तो संवर जाएँगे
हम बिखर जाएँगे
हमे कौन समेटेगा.....


ओह ......अब भी आँखो मे दर्द हैं
लहू ने तुम्हे जा निचोड़ा हैं....
ग़लती अकेले मेरी नही..............
तुमने भी मेरा यही हाल कर छोड़ा हैं
हम भी नही सोते, हैं दिन रात तुम्हे सोचते
किसी को सता कर क्या कोई सो सकता हैं
फिर हमारा तो साथ जन्मो का साथ हैं....
हमने कहाँ तुम्हे छोड़ा है..






तुम मुझे जितनी बार छलते हो...
मेरा विश्वास और भी बढ़ जाता हैं
मुझे लगता है ऐसा जैसे खुद
किसी का अपना आप ठगा जाता हैं...........मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता



क्या करे बेचारा बेटी जो हैं उसके पास
यही तो उसका अनमोल धन हैं
वरना कुछ नही हैं बेचारे के पास खास



तुम तो बहुत अजीब हो..
देखते ही मेरी झुर्रिया मेरे करीब हो
बाकी लोग तो मेरे पास से भाग जाते हैं
तुम्हे क्या हुआ जो दूरिया मिटाते हो..

विचार के साथ परिपक्व हुआ हैं प्यार भी
मुझे अब हुआ हैं तुम्हारे प्यार पे नाज़ भी


संगया सर्वनाम का चक्कर छोड़े
बंद दरवाजे की कुण्डी खोले
वरना जो आया हैं वो लौट जाएगा
गर भूल से हुई आपकी पत्नि / पति
तबीयत से डाँट पिलाएगा....




मुस्कुराने मे जद्दोजहद कैसी, ये तो दिल से निकल आते हैं
यादो मे जो रहते हैं, अश्को से बाहर नही आते...


जब ढाल साथ हैं तो डरना कैसा
जब पहले ही मर गये तो मरना कैसा

 

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