Thursday, March 29, 2012

पगली लड़की

वो चाहती थी टूट कर मुझे
उसकी हर अदा मे
प्यार समाया था
नही रह सकती थी
एक पल भी मेरे बगैर
जाने प्यार का कौन सा नशा  
उसपे छाया था.....
हर  लम्हा मुझमे ही खोई रहती,
मुझसे बाते करती....
मुझसे ही लड़ती रहती...
यही नही .....जब मैं नही 
होता सामने तो
मेरी तस्वीर को देखा करती......
ना जाने कौन सी 
मिट्टी से बन कर आई थी
वो लड़की भी जैसे
मेरी रूह मे उतर आई थी
पागलपन की हद तक 
चाहती थी मुझे
नही देख सकती थी मुझे........
किसी के साथ मुस्कुराते हुए....
हो गई थी अपनी 
सब खुशिया पराई उसे
पगली सी थी .......जो मेरे 
जहन मे समाई थी
सारी दुनिया उसे 
पागल कहती...
वो थी कि हरदम 
खुद से उलझी रहती
ना जाने क्या था उसमे......
जुनून बन के 
मेरे साथ चली आई थी....
वो लड़की भी जैसे 
मेरी रूह मे hi उतर आई थी




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