Thursday, January 19, 2012

मोह माया


मित्र का सवाल
चर्चित बाबा के चक्कर में 
नटखट बाला हुई बीमार,
बाबा हैं साधू - सन्यासी
वो पूरी कलयुगी नार.....
बाबा जब भी धुनी रमाते
वो हो जाती है हाज़िर,
इधर - उधर से ढांप - ढूंप के
करने लगती कविता वार,
फिर भी बाबा ना बोलें जब 
ध्यान तोड़ती सीटी मार.....
आप लोग ज्ञानी - ध्यानी सब
जल्दी कोई उपाय बताएं,
नहीं तो बाबा चले हिमालय
छोड़ - छाड़कर ये संसार.....

मेरे द्वारा सुझाया गया उपाय
बाबा तो सबको उपाय बतलाते
उन्हे क्या कोई बताए उपाय..
सबको मोह ममता वो छुड़वाते
उनकी कौन छुड़ाय......
नटखट बाला से बचना 
असंभव सा नज़र आता हैं..
क्यूंकी...कामिनी, कंचन, कीर्ति
इन तीनो से बचना प्रायः नामुमकिन
सा हो जाता हैं....
फिर भी बाबा चाहे तो अपनी
समाधि मे चले जाए.....
कन्या जब थक के चूर जाए...
उन्हे भूल जाए तब ....
समाधि से वापस आए..
वरना बाबा की सारी मेहनत 
पानी मे चली जाएगी...
कन्या उन्हे फिर से जनम मरण
के चक्कर मे फसाएगी...
संसार हैं मिथ्या तो....
कन्या भी मिथ्या हैं...
क्या फसना कन्या मे..
ये तो बाबा के योग की परीक्षा हैं..
बाबा गर पास हुए तो भगवान मिलेगा..
गिर गये कन्या के चक्कर मे तो 
बार बार जनम लेना पड़ेगा.....

इस कविता के द्वारा मुझे मेरा एक मित्र मिला...इसलिए ये कविता मुझे बहुत प्रिय हैं

8 Comments:

At January 19, 2012 at 1:57 AM , Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मेनका और विश्वामित्र का बहुत बढ़िया चित्रण किया है आपने इस रचना में। साथ ही सुझाव भी दे दिया!
लिखती रहिए, लेखनी में निखार आता जाएगा।
शुभकामनाएँ!
--
वर्ड-वेरीफिकेशन अभी हटाया नहीं है आपने!

 
At January 19, 2012 at 2:01 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Uncle...apka ashirwaad chahiye baki to sab kaam sway sidh ho jayega..

 
At January 19, 2012 at 6:03 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Uncle..jaroor milenge...

 
At January 20, 2012 at 7:22 AM , Blogger Rakesh Kumar said...

वाह जी वाह!
कामनी, कांचन और कीर्ति
अपर्णा जी आपकी प्रस्तुति
अच्छी लगी.

मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

 
At January 20, 2012 at 7:25 AM , Blogger Rakesh Kumar said...

रूहानी सुहानी का उनतालीस वाँ फालोअर बनते हुए मुझे खुशी हो रही है.

 
At January 20, 2012 at 8:53 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

Thanks Rakesh ji....apka yaha bahut swagat hain...apko pasand ayi meri rachna ye mera saubhagya hain.....

 
At January 22, 2012 at 12:53 AM , Blogger Anju (Anu) Chaudhary said...

संसार हैं मिथ्या तो....
कन्या भी मिथ्या हैं...
क्या फसना कन्या मे..
ये तो बाबा के योग की परीक्षा हैं..
बाबा गर पास हुए तो भगवान मिलेगा..
गिर गये कन्या के चक्कर मे तो
बार बार जनम लेना पड़ेगा.....


वाह बहुत बढिया जी ...मजेदार व्यंग्य

 
At October 23, 2012 at 4:24 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya Anju.ji..

 

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