Saturday, November 19, 2011


‎....चूंकि अब वक्‍त का हर लम्‍हा 
टटोला जाएगा...
जो हुई, जो ना हुई...
हर बात खोली जाएगी.....
चलो इससे पहले मिलकर 
एक बार बात कर लें....
फिर से मुलाकात कर ले...
हो सकता हैं ये लम्हा फिर न आए...
वक़्त की रेत हाथो से फिसल जाए
लोगो को अपना काम करने दे..
हम अपना काम करे.................
मिल के फिर से गुस्ताख़ी करे
आपस मे बैठ के प्यार की बाते करे
छोड़ दे काम दुनिया का दुनिया पे
चलो फिर से अपनी पहचान करे




चन्दन महकी रात भले ही,
समझ न पाई ये वरना 
किसकी खुशबू थी नींदों में,
ख़्वाब हमारा बोले है ---...
ख्वाब ने पूछा हमसे आकर 
क्यूँ नींदो मे बहके हैं
किसकी बाते सोचा करता, 
क्या वो मुझसे बढ़के हैं
मैने बोला वो मेरा जीवन, 
वो मेरा धन...बाते उसकी मुझमे हैं
रह ना सकु मैं उसके बिन..
मेरी साँसे उसकी हैं 
खुश्बू बसी हैं उसकी यादो मे 
खवाब खवाब मुस्काये हैं..
छू ले यदि वो प्यार से मुझको
मेरे हाथ से खुश्बू आए हैं
सोचे यदि वो मुझको दिल मे
मेरी जात से खुश्बू आए हैं
क्या कहु मैं इस से ज़्यादा
लाज मुझे अब आए हैं

Friday, November 18, 2011

मेरी आने वाली पुस्तक "कुछ यादें...कुछ बातें..कुछ साथ बिताए पल.....जो ना अब हमारे हैं" का कुछ अंश



तुम्हे याद हैं हमे मिले पूरे एक साल हो गये हैं २२ नवेंबर२०१० को हम पहली बार मिले थे जब हम मिले थे तो मैं तो राज़ी भी नही थी तुमसे दोस्ती के लिए लेकिन ना जाने कैसे तुमने मुझे राज़ी कर लिया अपनी जादू भारी बातों से और मैं तुम्हारे सम्मोहन मे खिचती चली गई ग़ज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर हैं तुम्हारा कैसे मेरी सारी सीरियस बातों को भी तुम अपने हास्य का पुट दे दिया करते थे और मैं बस चिल्ला के रह जाती थी...धीरे धीरे  तुमने मेरे पूरे मन, दिल दिमाग़ सब पे अपना क़ब्ज़ा जमा लिया और मैं भी हर समय बस तुम्हारी बातों मे ही खोई रहने लगी..और समय अपनी रफ़्तार से दौड़ने लगा मुझे याद हैं कैसे तुमने मेरे जनम दिन को यादगार बना दिया था सच ऐसा जनम दिन तो मैसे आज तक नही मनाया इतनी दूर होकर भी तुम मेरे पास थे बिल्कुल धड़कनो की तरह धड़क रहे थे मेरे दिल मे...मुझे मेरी हर धड़कन साफ सुनाई दे रही थी... हम दिन भर बाते करते फिर भी हमारी बाते ख़तम ना होती...तुमने तो मुझे एक नई दुनिया मे पहुचा दिया था सच...मुझे लग रहा था मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नही रह पाउगी आज भी मेरा दिल तुम्हारे पास ही हैं तुम्हारी बाते, मेल्स मुझे सहज ही तुम्हारे करीब ले आते थे जबकि मैं डरती थी समाज से, दुनिया से और अपने आप से की कहीं हमारे प्यार को हमारी ही नज़र ना लग जाए और वोही हुआ ...अचानक ना जाने क्या हुआ तुम मुझसे दूर जाने लगे  अब तुम्हारे फोन कॉल्स बंद हो गये, ई मेल्स भी कहीं खोने लगे और ऑनलाइन आना तो तुमने बंद ही कर दिया और जब मैं कॉल करती तो कहते मैं बिज़ी हूँ या मीटिंग मे हूँ (डॅडी का फोन आ रहा हैं) कहकर बात नही करते थे मुझे आज तक समझ नही आया की मेरी ग़लती क्या हैं....मैने अपने आपको तुम्हारी यादों मे डूबा लिया और पहले तो शिकायत भी करती थी फिर वो भी बंद कर दिया....किस से करती शिकायत...और कौन सुनता मेरी शिकायत....जब तुम ही मेरे पास नही थे...

तुम्हारे पास भी लाखो उलझने थी काका प्रेशर था प्लस एक जबरदस्त धोखा भी था तुम्हारी लाइफ का जो तुम अकेले सफर कर रहे थे मैं समझ रही थी इसलिए अपने आप को मैने समय पे छोड़ दिया....की जब याद आएगी या कमी लगेगी तो लौट आओगे तुम मुझे अपने सच्चे प्यार पे पूरा भरोसा था और अब भी हैं अब जाने क्यूँ लग रहा हैं तुम मेरे पास लौट आओगे...क्यूंकी समय ने तुम्हारी बहुत सी उलझने सुलझा दी हैं और जो बाकी हैं उसे हम मिलकर सुलझा लेंगे...मेरा विश्वास पक्का हैं आ रहे हो ना तुम..
सच मे आज तुम्हारी बहुत याद आ रही हैं लेकिन समझ नही पा रही हूँ कि मैने ऐसा क्या कह दिया जो तुम यू ही मुझसे बताए बिने इतनी दूर निकल गये..सच बताउ तो मुझे ऐसे रिश्तो पे विश्वास ही नही था और ना मैं तुमसे कोई दिल का रिश्ता रखना ही चाहती थी...लेकिन तुमने मुझे इतनी दूर से भी, इतना प्यार दिया कि मैं होकर शिला होकर भी तुम्हारे आगे पिघलती चली गई...शायद ये मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी जो मैने की...  तुम खुद कभी मुझे याद करते नही और जब मैं तुम्हे याद करती हूँ तो तुम ना जाने कैसे इतने ठंडे तरीके से बात करते हो की लगता हैं बेकारही बात की...बस इतना बता दो...ऐसा मैने क्या कह दिया जो तुम मुझसे दूर चले गये कहाँ गया तुम्हारा मेरे प्रति वो प्यार, साथ जीने मरने की कसमे, उम्र भर हाथ ना छोड़ने का वादा....क्या वो सब एक दिखावा था...या कुछ और....मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा..यू बिना बताए जिंदगी मे आना और चले जाना....ये सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम ही कर सकते हो...और कोई नही...जब लगे तुम्हे मेरी ज़रूरत हैं एक आवाज़ दे देना...मैं जहाँ भी होंगी...नंगे पैर भागती हुई चली आ जाउगी नही करूँगी तुमसे कोई सवाल नही माँगूंगी कोई जवाब....मन करे तो बता देना...नही तो कोई बात नही..



मुझे पता हैं तुम इतने केरिंग हो की मुझे भूल नही पाए होंगे....तुम्हारी आदत हैं अपने से जुड़े लोगो का ख़याल रखना मुझे सब अच्छे से याद हैं..कितना ख़याल  रहते थे तुम मेरा हर बात मे, कहाँ गई थी, क्या खाया, वहाँ पे कैसा रहा.. अब तुम पोज़ करते हो..की तुम्हे मेरा बिल्कुल ख़याल नही...ये मुझसे छिपा नही हैं...तुम्हारा करुणा वाला दिल जो ज़रा ज़रा सी बात पे मेरे लिए रो दिया करता था आज भी बिल्कुल वैसे  का वैसा हैं...तुम चाहे कितना दिखाओ....मैने तुम्हे तहे दिल से जान लिया हैं...तुम्हारे प्यार को पहचान लिया हैं तुम चाहे जो करो....मूज़े तुँसरे कोई गिला नही हैं....क्यूंकी मुझे तुमसे कुछ भी नही चाहिए....सच मे कुछ भी नही....
हा इतना ज़रूर हैं सोचा था मुझे अच्छा दोस्त मिल गया लेकिन तुम्हे शायद वो भी नही चाहिए, कोई बात नही...मुझे सब्र हैं
मेरा दोस्त जहाँ भी हैं ठीक हैं..भले वो मुझे भूल भी जाए कोई बात नही...कभी तो हमारी याद आएगी..कभी तो तुम्हे लगेगा तुमने कुछ खोया हैं...तब ही सही...वैसे मैने तुमसे तब भी कुछ नही चाहा था...लेकिन तुमने ही मज़बूर किया था उम्र भर साथ चलने के लिए...लेकिन मुझे उसका भी कोई मलाल नही क्यूंकी हो सकता हैं मैं तुम्हारे मापदंडो पे खरी ना उतरती हूँ....वो तुम्हारा अपना फ़ैसला हैं...हा इतना ज़रूर हैं तुमने मुझे अपनी आदत डाल दी हैं...वो भी कभी ना कभी हो सकता हैं...छूट ही जाए...बस मुझे तुम्हारी एक बात बहुत खलती हैं..की तुम रिप्लाइ नही करते क्या..तुम्हे इतना भी वक़्त नही मिलता या देना नही चाहते...क्यूंकी दुनिया मे भी एक रस्म हैं की अगर कोई कुछ भेजे तो उसको रिप्लाइ करते हैं या विश करते हैं...मंगल कामनाए देते हैं....माना मैं तुम्हारे लिए गैर हूँ..लेकिन एक साधारण सी मेल समझ कर ही जवाब दे दिया करो...तुम्हारे एक जवाब पे मैं नाची नाची घूमती हूँ...मुझे लगता हैं जैसे कोई ख़ज़ाना मिल गया...लेकिन शायद मैं इतनी खुशी की भी हक़दार नही..मैं ये सब तुम्हे नही बताना चाहती लेकिन...ना जाने क्यूँ तुम बहुत याद आते हो...तुम्हारी सारी बाते मुझे भूलती ही नही हैं....शायद ये भी मेरी ही ग़लती हैं जो मैं सच को अपना नही कर पा रही...तुम तो हर तरह से कोशिश कर रहे हो....
 


Thursday, November 17, 2011


मजबूत इस्पात पर
सोनार की हथोडी
तो फिर भी समझ आती हैं
दोनो गैर हैं एक दूसरे के लिए
पहचान अभी बाकी हैं????
लेकिन लोहे पर लोहे की हथौड़ी तो
जाने क्या सितम ढाती हैं
अपनो से अपनो को चोट...
दिल दहला जाती हैं
इसे सह पाना कोई 
आसान बात नही....
कभी कभी तो जान ही चली जाती हैं
तब सोचो घनी चिटकन के 
स्पर्श की पीड़ा
कितनी बड़ी है !!!!!!..


कायनात जाग उठी हैं आप भी जाग जाए...
हो गया हैं सवेरा...कदम से कदम मिलाए







सूर्य देव ने अपना आलोक जो नही फैलाया अब तक....! अब हम भी जागेंगे....जग भी जागेगा ....!





सूर्य देव तो कब के आकर सिर पे खड़े हो चुके हैं...
और हम हैं की दो पहर  मे सवेरा ढूँढ रहे हैं...



खामोशी की सदा सुनता हैं भला कौन...
आवाज़ भी दो तो लौट आती हैं अपने पास


खामोशी थी भीतर मेरे, 
आलम सारा बोले है --------
अब दो तो गूंगे एहसासों को बोली --
दिल बेचारा क्या बोले है????
दिल की सुनता कौन यहाँ पर,
दिल तो बस दीवाना हैं...
करता रहता हैं मोहब्बत,
राज़ ज़ुबा ही खोले हैं 
ना खुले राज़ तो दिल बेचारा....
कहता हरदम रो ले हैं 
दिल की सुनता कौन यहाँ पे, 
ये धड़के हौले हौले हैं...

तेवर


तेवर को बना लो जेवर
जिंदगी संवर जाएगी
देखना तुमको ना जाने 
कितनी खुशिया सहलाएगी
जेवर की क्या विशेषता हैं
ये हम सबको पता हैं
निकलते हैं संभाल कर,
कोई देख ना पाए
पहनते हैं इसलिए की 
हमारी रौनक बढ़ जाए
फिर रख लेते हैं दुनिया से छिपा कर
ऐसे ही अपने तेवर को भी
वक़्त पड़ने पर ही निकाले
गर ज़रूरत हो  तभी दिखाए
और रख ले संभाल कर
जब काम पूरा हो जाए..
आपका जीवन भी बदल जाएगा
और हर जगह आपका 
मान सम्मान बढ़ जाएगा 

Wednesday, November 16, 2011


मेरे भीतर एक कुआं है, 
रहता हैं उसमे में कोई 
वर्ना मुझमे इतनी तन्हाई है, 
कैसे मुझसे बोले कोई .....................................
बाते खुद से करता हूँ
अपने आप मे जीता हूँ
सारे दुख पी लेता हूँ
नही दिखाता अपने गम को
गम मे ही खुश रहता हूँ.....................................
जो रहता हैं मेरे भीतर
वो बिल्कुल तेरे जैसा है
हंसता हैं,  बाते करता हैं 
दुनिया को खुश करता हैं
लेकर गम औरो के खुद मे 
खुशियाँ भरता हैं...........

हमारा मन नहीं रहता , हमारे पास



जब मैं 

तुम्हारे साथ होती हूँ

खुद को सारी दुनिया से

खाली कर लेती हूँ

नही रखती मन मे 

कोई गुबार....

फैला होता बस 

चारो तरफ 

प्यार ही प्यार..

तुम्हारी प्यारी बातें

मन को गुदगुदाती हैं

जब छेड़ देते हो

मन की तरंगे

मन कही खो 

सा जाता हैं

जैसे खुलने के बाद 

उन(वूल) का गोला 

उलझ जाता हैं 

और बड़ी मुश्किल से 

हाथ आता हैं 

ऐसे ही हमारा मन . .

नही रहता....हमारे पास

तुम्हारे पास

सरक जाता हैं

  • You, Kiran AryaChitra RathoreAameen Khan and 16 others like this.

    • Suman Mishra sambhaaliye......man ko.....saagar ki athaah lahrein....man ko kaheen apnee tarangon main baha naa le jaayem
      October 25 at 6:27pm ·  ·  4

    • Nirmal Paneri कुछ पूर्ण होता है कुछ अधुरा सा रहा जाता है वही कही खोने का अहसास ...इंसानी दायित्व के होते हुए भी उसको स्वामीत्व कही नष्ट होता लगता है वही इंसानी मन खोने की कशमकश है शायद ...पर इस पर विजय ही इन्सान को महान बनजाती है कही !!!!!!!!!शायद !!!!!!!!!!!!!!!!!
      October 25 at 6:33pm ·  ·  2

    • Alam Khursheed वाआआआआह !
      अच्छा है अपर्णा जी !

      October 25 at 6:41pm · 

    • Om Prakash Nautiyal ‎*
      "..जैसे खुलने के बाद
      ऊन का गोला
      उलझ जाता हैं
      और बड़ी मुश्किल से
      हाथ आता हैं .."
      वाह ! बहुत सुन्दर !! शुभ दीपावली !!!!
      *

      October 25 at 7:45pm · 

    • Parveen Kathuria aapka man bhi kamaal ka hai.....ise kaho punjab ki gaadi bhi pakde..)))
      October 25 at 9:16pm · 

    • Rajiv Jayaswal Mann ko manao , Aparna ji.
      October 25 at 9:22pm ·  ·  1

    • Vishaal Charchchit BAHUT KHOOB.................BHARI BHARKAM (PYAR SE BHARAA HUA) MANN.............APNE AAP SARAK JAATA HAI US TARAF..................BHAI WAAH !!!
      October 25 at 10:30pm · 

    • Aparna Khare kya kare vishall ji Dil hi to hai..
      October 25 at 10:49pm ·  ·  1

    • Aparna Khare Thanks Rajiv ji..aj se koshish karte hain
      October 25 at 10:49pm · 

    • Aparna Khare Alam ji Shukriya
      October 25 at 10:49pm · 

    • Aparna Khare Om Prakash Nautiyal ji apko bhi baht baht mubarak
      October 25 at 10:50pm · 

    • Aparna Khare Suman Mishra....mann pe kabu hain mera..china na karo
      October 25 at 10:50pm · 

    • Aparna Khare Thanks Nirmal ji
      October 25 at 10:51pm · 

    • Kamal Kumar Nagal wah...true this ..
      October 26 at 12:40am ·  ·  1

    • Gopal Krishna Shukla वाह बहुत खूब अपर्णा जी....
      October 26 at 12:57am ·  ·  1

    • Naresh Matia bahut khoob....bahut badhiya...
      October 26 at 2:35am ·  ·  1

    • Shamim Farooqui Waah...khoob
      October 26 at 9:23pm ·  ·  1

    • Divine Love · Friends with Mutha Rakesh and 4 others
      shooting straight from the heart ...good
      October 26 at 11:24pm ·  ·  1

    • Manjula Saxena bahut sunder bhav aiwam shabd aparna ...
      October 26 at 11:32pm ·  ·  1

    • Manjula Saxena समझता नहीं यह नादाँ
      नन्ही सी जान
      तुम्हारे होने, न होने का फर्क
      हर दम रहता संग तुम्हारे
      भूल दुनिया के नज़ारे
      जो भी हो , मानता है तुम्हे ख़ास
      हमारा मन नहीं रहता , हमारे पास

      October 26 at 11:32pm ·  ·  4

    • Maya Mrig कुछ चीजें उलझ कर ही सुलझती हैं....उलझती जाएंगी जितना....सुलझती जाएंगी उतना....मन का क्‍या....
      October 27 at 9:49pm ·  ·  2

    • MAN CHANCHAL HOTA HAI. FIR V..........
      October 31 at 1:58pm ·  ·  1

    • Kiran Arya man aisa hi hai mitr.............
      October 31 at 3:52pm ·  ·  1