Wednesday, November 30, 2011

मेरी आने वाली पुस्तक "कुछ यादें...कुछ बातें..कुछ साथ बिताए पल.....जो ना अब हमारे हैं" का कुछ अंश




तुम्हे याद हैं हमे मिले पूरे एक साल हो गये हैं २२ नवेंबर२०१० को हम पहली बार मिले थे जब हम मिले थे तो मैं तो राज़ी भी नही थी तुमसे दोस्ती के लिए लेकिन ना जाने कैसे तुमने मुझे राज़ी कर लिया अपनी जादू भारी बातों से और मैं तुम्हारे सम्मोहन मे खिचती चली गई ग़ज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर हैं तुम्हारा कैसे मेरी सारी सीरियस बातों को भी तुम अपने हास्य का पुट दे दिया करते थे और मैं बस चिल्ला के रह जाती थी...धीरे धीरे  तुमने मेरे पूरे मन, दिल दिमाग़ सब पे अपना क़ब्ज़ा जमा लिया और मैं भी हर समय बस तुम्हारी बातों मे ही खोई रहने लगी..और समय अपनी रफ़्तार से दौड़ने लगा मुझे याद हैं कैसे तुमने मेरे जनम दिन को यादगार बना दिया था सच ऐसा जनम दिन तो मैसे आज तक नही मनाया इतनी दूर होकर भी तुम मेरे पास थे बिल्कुल धड़कनो की तरह धड़क रहे थे मेरे दिल मे...मुझे मेरी हर धड़कन साफ सुनाई दे रही थी... हम दिन भर बाते करते फिर भी हमारी बाते ख़तम ना होती...तुमने तो मुझे एक नई दुनिया मे पहुचा दिया था सच...मुझे लग रहा था मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नही रह पाउगी आज भी मेरा दिल तुम्हारे पास ही हैं तुम्हारी बाते, मेल्स मुझे सहज ही तुम्हारे करीब ले आते थे जबकि मैं डरती थी समाज से, दुनिया से और अपने आप से की कहीं हमारे प्यार को हमारी ही नज़र ना लग जाए और वोही हुआ ...अचानक ना जाने क्या हुआ तुम मुझसे दूर जाने लगे  अब तुम्हारे फोन कॉल्स बंद हो गये, ई मेल्स भी कहीं खोने लगे और ऑनलाइन आना तो तुमने बंद ही कर दिया और जब मैं कॉल करती तो कहते मैं बिज़ी हूँ या मीटिंग मे हूँ (डॅडी का फोन आ रहा हैं) कहकर बात नही करते थे मुझे आज तक समझ नही आया की मेरी ग़लती क्या हैं....मैने अपने आपको तुम्हारी यादों मे डूबा लिया और पहले तो शिकायत भी करती थी फिर वो भी बंद कर दिया....किस से करती शिकायत...और कौन सुनता मेरी शिकायत....जब तुम ही मेरे पास नही थे...


तुम्हारे पास भी लाखो उलझने थी काम का प्रेशर था प्लस एक जबरदस्त धोखा भी था तुम्हारी लाइफ का जो तुम अकेले सफर कर रहे थे मैं समझ रही थी इसलिए अपने आप को मैने समय पे छोड़ दिया....की जब याद आएगी या कमी लगेगी तो लौट आओगे तुम मुझे अपने सच्चे प्यार पे पूरा भरोसा था और अब भी हैं अब जाने क्यूँ लग रहा हैं तुम मेरे पास लौट आओगे...क्यूंकी समय ने तुम्हारी बहुत सी उलझने सुलझा दी हैं और जो बाकी हैं उसे हम मिलकर सुलझा लेंगे...मेरा विश्वास पक्का हैं आ रहे हो ना तुम..

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