Saturday, July 2, 2011

खोटे सिक्के


हम तो ठहरे 
खोटे सिक्के
तुमने रूप
निखारा है
अपना ज्ञान देकर 
भुलाया....संसार सारा है
हमने  की थी 
कितनी भूले
छानी थी 
ममता की धूले
फिर भी तुमने 
स्वीकारा है
हम तो ठहरे 
खोटे सिक्के
तुमने रूप 
निखारा है
देकर अनुभव 
बनाया अपने जैसा
किया  हमारे 
विकारो का सौदा..
देकर प्रेम हमको 
तुमने तारा है
हम तो थे खोटे  सिक्के 
तुमने रूप निखारा है
खोटा सिक्का 
कही ना चलता
जिसको मिलता
वो ना रखता
तुमने हमको लेकर के 
प्यार से सवारा है
हम तो थे खोटे सिक्के
तुमने रूप निखारा है


 एक बार एक फल वाला था उसको सब खोटे सिक्के दे जाते थे और फल ले जाते थे वो किसी का भी सिक्का वापस नही करता था ऐसे ही बहुत दिनो तक चलता रहा उसके पास बहुत से सिक्के हो गये उसका अंत समय आया तो वो भगवान से बोला भगवान जैसे आज तक मैने किसी का भी खोटा सिक्का नही वापिस किया वैसे ही मई भी तुम्हारे लिए खोटा सिक्का हू मुझे भी तुम स्वीकार कर लो एसका अर्थ ये है की हम लोग गुरु के पास खोटे सिक्के जाते है और गुरु हमे प्यार से अपना बना लेता है...


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