Friday, June 24, 2011

एक रंग की होती दुनिया


एक रंग की होती दुनिया 
कैसी हमको लगती..?
एक रंग की तितली होती 
एक रंग के फूल, सब्जी..
एक रंग की गिलहरी होती 
एक रंग की साडी..
सोचो? 
कैसा लगता मॅन को..
मॅन होता बस
नीरस सा..
रंग भरे है कितने
प्रकति मे..
रंग भरे है जीवन मे..
रंग प्रकति के लाल हरे है..
जीवन के सुनहरे..
इन रंगो से बढ़कर
रंग है..प्रेम का..
इस रंग मे यदि हम रंगते 
हो जाते है लालो लाल..
प्रेम छिपाता 
सारी कमी को..
प्रेम बढ़ाता जीवन मे
खुशी को..
पर इसे बाटना पड़ता है..
दिलो मे उतरना पड़ता है..
एक बार जो 
उतरे दिल मे...
हो जाए वो मालामाल..
एक बार जो 
देना सीखा
आनंद से 
जीवनभर जाए..
प्रेम पाए..प्रेम लुटाए..
प्रेमी ही कहाए..
प्रेमी ही बन जाए.........



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