Saturday, June 25, 2011

भाई का प्यार


भैया क्यूँ अकेला समझा 
तुमने अपने आप को
 लक्ष्मण तो आज भी
आतुर आपके साथ को
उसने अपनी फॅमिली
ना कभी देखी थी
ना देखा आज हैं
वो कल भी तेरे साथ था 
आज भी तेरे साथ हैं

क्यूँ लगते सीता माँ पर
ऐसा ये इल्ज़ाम हैं
वो बेचारी कब हैं कहती
ना चलूंगी बनवास मैं
भाई आज कुछ आपको
शायद अपने पे कम विश्वास हैं
हम तो आज भी आपके ही साथ हैं

ना लेना परीक्षा भाभी की
वो तो आपका ही रूप अपार हैं
छू पाए उन्हे कोई
ऐसा ना कोई शूरवीर महान हैं
भैया अब बहुत दे चुके परीक्षा
अब राज तिलक का समय आज हैं
कल भी तेरे साथ थे 
आज भी तेरे साथ हैं
क्यूँ किया मॅन मे संशय
मॅन को लगा आघात हैं
तेरे हैं तेरे ही रहेंगे
ऐसा पूर्ण विश्वास है

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